Hindi, asked by virendravds1, 21 hours ago

पिछली रात एक पहाड़ी बालक सड़क के किनारे पेड़ के नीचे ठिठुरकर मर गया। मरने के लिए उसे वही जगह; वही दस बरस उम्र और वही काले चिथड़ों की कमीज़ मिली । आदमियों की दुनिया ने बस यही उपहार उसके पास छोड़ा था । पर बताने वालों ने बताया कि गरीब के मुँह पर, छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बरफ की हलकी-सी चादर चिपक गयी थी । मानो दुनिया की बेहयाई ढंकने के लिए प्रकृति ने सफेद और ठण्डे कफन का प्रबन्ध कर दिया था।


please vyakhya Bata do correct batayega please​

Answers

Answered by kamalgore015
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पिछली रात एक पहाड़ी बालक सड़क। के किनारे पेड़ के नीचे ठिठुरकर मर गया

Answered by franktheruler
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दिए गए प्रश्न का उत्तर निम्नलिखित है

संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियां जैनेन्द्र कुमार द्वारा लिखित कहानी " अपना अपना भाग्य " से ली गई है

प्रसंग - लेखक अपने एक मित्र के साथ नैनीताल गए हुए थे, लेखक ने वहां असहनीय सर्दी की व्याख्या की है।

व्याख्या -

  • लेखक ने नैनीताल की सर्दियों का वर्णन किया है।
  • लेखक ने नैनीताल की सड़कों पर घूमते हुए अर्ध रात्रि के समय एक लगभग दस वर्षीय गरीब बालक को देखा।
  • वह बालक भूखा था व नौकरी की तलाश में भटक रहा था। लेखक उसे अपने एक वकील मित्र के पास ले गए काम पर रखने के लिए परन्तु वकील बाबू ने अनजान पहाड़ी लड़के को नौकरी देने से इंकार कर दिया।
  • उस लड़के पास न खाने को कुछ था, न रहने को घर , न पहनने को कपड़े थे। कोई सहारा न मिलने पर वह नैनीताल की सड़क किनारे कहीं सो गया , ठिठुरती सर्दी सहन न करने के कारण उसकी मौत हो गई। बर्फ ने उसका शरीर ढक किया था जैसे प्रकृति ने सफेद कफ़न उसपर ओढ़ लिया था, लोगों की बेशर्मी व बेहयाई का उदाहरण था।
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