पांडुलिपि और अभिलेख में क्या अंतर है
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पांडुलिपि और अभिलेख में मुख्य अंतर इस प्रकार है...
पांडुलिपि : पांडुलिपि उन प्राचीन पुस्तकों को कहा जाता है, जो छापेखाने के अविष्कार से पहले हाथों से लिखी जाती थीं। प्राचीन काल में छापेखाने नहीं थे और विद्वान लोग जो भी पुस्तकें तैयार करते, वह अपने हाथों से लिखते। यह पुस्तकें ताड़पत्रों, भोज पत्रों तथा अन्य पेड़ों की छाल पर लिखी जाती थीं। इन सभी पुस्तकों को पांडुलिपि कहा जाता है। प्राचीनकाल सभी प्राचीन ग्रंथ इन्हीं पांडुलिपियों के रूप में तैयार हुए हैं। ॉ
शिलालेख : शिलालेख पत्थर पर उत्कीर्ण किए गए लेखों को कहा जाता है। प्राचीन काल में शासक राजा लोग अपने आदेशों तथा अपने घोषणाओं तथा संदेश आदि को पत्थर पर उत्कीर्ण करवा कर उन्हें जगह-जगह पर लगवा देते थे, ताकि उनकी प्रजा उन शिलालेखों को जब चाहे पढ़ सके। इन शिलालेखों पर संस्कृत या प्राकृत आदि भाषाओं में उत्कीर्णन होता था। मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेख बेहद प्रसिद्ध रहे हैं।
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