पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को क्यों और कब गले लगा लियाl
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पंडित अलोपीदीन ने देखा कि वंशीधर एक ईमानदार व्यक्ति हैं, जिन्हें धन भी अपने कर्तव्यपथ से नहीं हटा सकता, क्योंकि जब वे गैर-कानूनी तरीके से नमक की बोरियाँ ले जा रहे थे और उन्हें वंशीधर द्वारा रंगे हाथों पकड़ लिया गया। उनसे बचने के लिए पंडित अलोपीदीन ने उन्हें धन का लालच देना चाहा तब भी वे धन लेकर उन्हें आजाद करने के लिए राजी नहीं हुए और अपने धर्म का पालन करते हुए हिरासत में ले लिया। अतः इससे वे जान गए कि वंशीधर एक धर्मनिष्ठ और कर्तव्यपरायण व्यक्ति हैं जिन्हें धन का कोई लोभ नहीं था। इसलिए वे जान गए कि वंशीधर ने निस्स्वार्थ भाव से कार्य कर सकते हैं। पंडित अलोपीदीन के पास बहुत अधिक जायदाद थी। इसलिए उनको उसके लेन-देन को सँभालने के लिए एक ईमानदार और जिम्मेदार व्यक्ति की खोज थी जिस पर उनकी नज़रों में केवल वंशीधर ही खरे उतर पाए। इसलिए अलोपीदीन ने वंशीधर को गले लगा लिया और अपनी सारी जायदाद का स्थायी मैनेजर नियुक्त किया।
Answer:
पंडित अलोपीदीन ने देखा कि वंशीधर एक ईमानदार व्यक्ति हैं, जिन्हें धन भी अपने कर्तव्यपथ से नहीं हटा सकता, क्योंकि जब वे गैर-कानूनी तरीके से नमक की बोरियाँ ले जा रहे थे और उन्हें वंशीधर द्वारा रंगे हाथों पकड़ लिया गया। उनसे बचने के लिए पंडित अलोपीदीन ने उन्हें धन का लालच देना चाहा तब भी वे धन लेकर उन्हें आजाद करने के लिए राजी नहीं हुए और अपने धर्म का पालन करते हुए हिरासत में ले लिया। अतः इससे वे जान गए कि वंशीधर एक धर्मनिष्ठ और कर्तव्यपरायण व्यक्ति हैं जिन्हें धन का कोई लोभ नहीं था। इसलिए वे जान गए कि वंशीधर ने निस्स्वार्थ भाव से कार्य कर सकते हैं। पंडित अलोपीदीन के पास बहुत अधिक जायदाद थी। इसलिए उनको उसके लेन-देन को सँभालने के लिए एक ईमानदार और जिम्मेदार व्यक्ति की खोज थी जिस पर उनकी नज़रों में केवल वंशीधर ही खरे उतर पाए। अलोपीदीन ने प्रफुल्लित होकर उन्हें गले लगा लिया।
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