पंडित जी ने धर्म को धन का ऐसा निरादर करते कभी ना देखा था इस पंक्ति का भावार्थ बताइ
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wmaobmosbsis soaakahcak
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इसका अर्थ यह है हि पंडित अलोपिदिन ने आज तक सब कुछ पैसे के बल पर करते थे इसलिए उन्हें लग्ने लगा कि पृथ्वी पैसे से चलती है मगर दरोगा वंशीधर ने यह साबित कर दिया कि पृथ्वी पर सबसे अनमोल पैसा नहीं है।मगर लोग चाँद पैसों के लिए आतिथ्य हीन हो जाते है।अपना धरम तक भूल जाते है।
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