पंडित जवाहरलाल नेहरू जी अपनी बेटी को दुनिया का हाल किस प्रकार जानने को कह रहे हैं ?
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लेखक नेहरू जी को उम्मीद है कि उनकी पुत्री इंदिरा पत्र शौक से पढ़ेगी। मगर हाल जानने का असली तरीका यह नहीं है कि हम केवल दूसरों की लिखी हुई किताबें पढ़ लें, बल्कि खुद संसार-रूपी पुस्तक को पढ़ें। मुझे आशा है कि पत्थरों और पहाड़ों को पढ़कर तुम थोड़े ही दिनों में उनका हाल जानना सीख जाओगी।पिता के पत्र' महज एक किताब का नाम नहीं है बल्कि यह एक पिता की भूमिका में बेटी को लिखा गया जवाहर लाल नेहरू के वह पत्र हैं जो सभ्यता की सबसे सुंदर और सरल व्याख्या करती है. किताब में एक तरफ नेहरू के विचार हैं तो वहीं उन विचारों को कहानी के सम्राट प्रेमचंद ने इतनी सरल भाषा में पेश किया है कि पत्र सिर्फ पत्र न रहे बल्कि पिता और बेटी के बीच की भावनात्मक कहानी बन गई.
यह पत्र जवाहरलाल नेहरू ने बेटी इंदिरा को लिखे थे. इन पत्रों के संग्रह 'लेटर फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर' नाम की पुस्तक में छपी जिसे बाद में प्रेमचंद ने हिन्दी में अनुवाद किया. ''पिता के पत्र'' किताब में नेहरू का कुदरत के प्रति लगाव और बेटी का देश-दुनिया के सरोकारों के प्रति एक दृष्टि विकसित कर सकने की चिंता देखी जा सकती है. इस किताब में जो पत्र हैं वह जवाहर लाल नेहरू ने 1928 में लिखी थी. उस वक्त इंदिरा गांधी सिर्फ 10 साल की थीं.मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूं. लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि सभ्यता का अर्थ क्या है? कोश में तो इसका अर्थ लिखा है अच्छा करना, सुधारना, जंगली आदतों की जगह अच्छी आदतें पैदा करना. और इसका व्यवहार किसी समाज या जाति के लिए ही किया जाता है. आदमी की जंगली दशा को, जब वह बिल्कुल जानवरों-सा होता है, बर्बरता कहते हैं. सभ्यता बिल्कुल उसकी उलटी चीज है. हम बर्बरता से जितनी ही दूर जाते हैं उतने ही सभ्य होते जाते हैं.
लेकिन हमें यह कैसे मालूम हो कि कोई आदमी या समाज जंगली है या सभ्य? यूरोप के बहुत-से आदमी समझते हैं कि हमीं सभ्य हैं और एशियावाले जंगली हैं. क्या इसका यह सबब है कि यूरोपवाले एशिया और अफ्रीकावालों से ज्यादा कपड़े पहनते हैं? लेकिन कपड़े तो आबोहवा पर निर्भर करते हैं. ठंडे मुल्क में लोग गर्म मुल्कवालों से ज्यादा कपड़े पहनते हैं. तो क्या इसका यह सबब है कि जिसके पास बंदूक है वह निहत्थे आदमी से ज्यादा मजबूत और इसलिए ज्यादा सभ्य है? चाहे वह ज्यादा सभ्य हो या न हो, कमजोर आदमी उससे यह नहीं कह सकता कि आप सभ्य नहीं हैं. कहीं मजबूत आदमी झल्ला कर उसे गोली मार दे, तो वह बेचारा क्या करेगा?
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