पंडित परमसुख का नाक सिकुड़ गया वाक्य को शुद्ध करो
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पंडित परमसुख को साँप क्यों सूंघ गया|
पंडित परमसुख का नाक सिकुड़ गया वाक्य प्रायश्चित कहानी का वाक्य है।
प्रायश्चित कहानी सारांश
14 वर्षीय बालिका वधू जैसे ही रामू की बहू के घर आई तो सास ने घर की चाबियां उसे थमा दी और पूजा में मन लगा दिया। बेचारी बहू घर की जिम्मेदारी उठाएगी तो कैसे? कभी भण्डार खुला रहता है तो कभी उसमें बैठ कर सो जाती है। टॉमबॉय बिल्ली इसका पूरा फायदा उठाती है। मौका मिलते ही वह घी-दूध-दही चाट लेती हैं। तात्पर्य यह है कि बिल्ली ने रामू की बहू का जीना दुश्वार कर दिया है। हार कर रामू की बहू ने मन बना लिया कि या तो घर में रहूंगी या कब्र में बिल्ली। बैरिकेडिंग कर दी गई है और दोनों सतर्क हैं। एक दिन रामू की बहू ने दूध में पिस्ता, बादाम, मखाने आदि मेवे गूंथ कर खीर बनाई, उस पर सोने का काम किया। उसने प्याले में भरकर उसे इतने ऊँचे किनारे पर रख दिया, जहाँ बिल्ली पहुँच न सके। रामू की बहू पान डालने लगी और कब्र वाली बिल्ली कटोरे पर कूद पड़ी। फर्श पर प्याले के खड़खड़ाने की आवाज के साथ। जब रामू की बहू दौड़ती हुई आई तो उसने देखा कि फूल का कटोरा टुकड़े-टुकड़े हो गया है और खीर फर्श पर पड़ी है, बिल्ली खीर उड़ा रही है। रामू की बहू लहूलुहान हो गई। वह कबीर को मारने के लिए तैयार हो गया।
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