पंडिता रमाबाइ कि जिवनी अपने शब्दों में लिखो
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भारत की पहली फेमिनिस्ट रमा बाई, जो सरस्वती से विद्रोहिणी बन गईं, धर्म भी बदला
आज रमाबाई का जन्मदिन है. भारतीय महिलाओं की मौजूदा बेहतर स्थिति में कहीं ना कहीं रमा बाई का भी योगदान है. वो देश की पहली महिला समाजसुधारक महिला थीं. उन्होंने ऐसे ऐसे कदम उठाए कि लोग हैरान हो गए. ब्राह्णण परिवार में जन्म लेकर परम विदुषी माने जाने वाली रमा बाई ने आखिर क्यों विद्रोह का रास्ता अपनाया
पंडिता रमाबाई (Pandita Ramabai) को देश की पहली फेमिनिस्ट कहा जाता है. वो महाराष्ट्र के एक चितपावन ब्राह्मण परिवार में 23 अप्रैल 1858 में पैदा हुईं था. उनके पिता अनंत शास्त्री डोंगरे संस्कृत के विद्वान थे. उन्होंने ही रमा बाई को भी संस्कृत की पढ़ाई कराई. आखिर क्या बात हुई जिस रमा बाई को भारतीय विद्वानों ने सरस्वती कहा, उसे वो जल्दी ही विद्रोहिणी क्यों कहने लगे. आखिर क्या बात हुई कि वो धर्म बदलकर ईसाई हो गईं.
रमा बाई ने बचपन में ही अपने मां-बाप को खो दिया था. इसके बाद वो पूरे देश में घूमती और व्याख्यान देती रहीं. 22 की उम्र तक रमाबाई संस्कृत की प्रकांड विद्वान बन चुकी थीं. उन्हें कन्नड़, मराठी, बांग्ला और हिब्रू जैसी सात भाषाएं आती थीं. वो अपने समय की एक असाधारण महिला थी. वह एक शिक्षक, विद्वान ,नारीवादी एवं समाज सुधारक थीं.