पंडिता रमाबाई फुले के बारे में हाथ से लिखा हुआ कुछ बताओ
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पंडिता रमाबाई (२३ अप्रैल १८५८ - ५ अप्रैल १९२२) एक प्रतिष्ठित भारतीय समाज सुधारिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता।[1]
पंडिता रमाबाई
वह एक कवयित्री, अध्येता और भारतीय महिलाओं के उत्थान की प्रबल समर्थक थीं। ब्राह्म्ण होकर भी एक गैर ब्राह्मण से विवाह किया था। महिलाओं के उत्थान के लिये उन्होंने न सिर्फ संपूर्ण भारत बल्कि इंग्लैंड की भी यात्रा की। १८८१ में उन्होंने 'आर्य महिला सभा' की स्थापना की।
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समाज सुधारक पंडिता रमाबाई का जन्म साल 1858 में 23 अप्रैल को हुआ था...
जानिए इनसे संबंधित महत्वपूर्ण फैक्ट्स को....
1. महिलाओं के अधिकार और शिक्षा को लेकर उन्होंने उल्लेखनीय काम किया.
2. उन्होंने मुक्ति मिशन शुरू किया, जो ठुकराई गई महिलाओं-बच्चों का ठिकाना था. बंबई में 20 लड़कियों के साथ शारदा सदन की शुरुआत की.
3. वो संस्कृत की विद्वान थीं इसलिए उनके नाम से पहले पंडिता लगा करता था.
4. आर्य महिला समाज के जरिए उच्च जाति की हिंदू महिलाओं को लड़कियों की शिक्षा की कोशिशों में जुटाया.
5. वो सात भाषाएं जानती थीं, धर्मपरिवर्तन कर ईसाई बन गईं और बाइबल की अनुवाद मराठी में किया.
6. साल 1919 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कैसर-ए-हिंदी के तमगे से नवाजा l