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कहा जाता है पांडव वर्जित क्षेत्र, पर सबको शरण देती है यह धरती
6 वर्ष पहले
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चंदनकियारी में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने ली थी शरण
> चंदनकियारी के भैरव स्थान में प्रत्यक्ष प्रमाण हैं अज्ञातवास के दौरान पांडवों के ठहरने का
> अर्जुन के तीर से बनी गुप्त गंगा से बहता है पानी, इसे पीने से ठीक होती है पेट की बीमारी
राजेशसिंह देव | बोकारो
चासअनुमंडल क्षेत्र को पांडव वर्जित क्षेत्र कहा जाता है, लेकिन यह ऐसा क्षेत्र है जहां पांडवों से लेकर अंग्रेजों तक ने शरण ली थी। महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने चंदनकियारी प्रखंड के भोजूडीह स्थित भैरव स्थान में माता कुंती के साथ अज्ञातवास के कुछ दिन बिताए थे। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यहां देखने को मिलता है। इसके अलावा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों ने चास प्रखंड के कई गांवों को सेफ जोन के रूप में उपयोग कर यहां 25 हजार अफ्रीकन आर्मी को ट्रेनिंग दी थी। आज के दौर में चास अनुमंडल का बोकारो स्टील सिटी एक ऐसा शहर है, जहां देश के विभिन्न कोने से आकर लोग रहते हैं। यही कारण है कि यह क्षेत्र धार्मिक, आध्यात्मिक और सद्भावना का प्रतीक बना हुआ है।
बाद में स्थापित हुआ भैरव स्थान
बादमें इस जगह पर काल भैरव की मूर्ति स्थापित की गई, तब से इस जगह का नाम भैरव स्थान हो गया। भैरव स्थान के पुजारी पोलकरी गांव निवासी पंडित सुधीर ठाकुर ने बताया कि उनके पूर्वज को स्वप्न मिला था कि इजरी नदी में भैरव जी मूर्ति से उसे नदी से उठाकर यहां स्थापित किया जाए। उनके पूर्वज जब मूर्ति उठाने गए थे, तब विशाल मूर्ति देखकर वापस गए और बैल गाड़ी लेकर गए, लेकिन एक एक कर सात बैल गाड़ी टूट गई, लेकिन मूर्ति नहीं ला सके।
गुप्त गंगा में है एक पत्थर जो घूमता रहता है
भोजूडीहपूर्वी पंचायत के मुखिया मानिक महथा ने कहा कि गुप्त गंगा के बीच में एक पत्थर है, जो घूमता रहता है। देखने से पता नहीं चलता, लेकिन हर दिन यह पत्थर घूमा हुआ रहता है। यहां मकर संक्रांति के दिन मेला लगता है। मेला में हजारों लोग यहां पिकनिक मनाने और भगवान भैरव तथा गुप्त गंगा का दर्शन करने आते हैं। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक स्थल है, झारखंड सरकार ने इसके विकास के लिए ध्यान नहीं दिया। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।
अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे पांडव