पंडवानी और भरथरी पर लेख लिखिए
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pandwani par lekh - पंडवानी छत्तीसगढ़ का वह एकल नाट्य है जिसका अर्थ है पांडववाणी - अर्थात पांडवकथा, यानी महाभारत की कथा। ये कथाएं छत्तीसगढ़ की परधान तथा देवार छत्तीसगढ़ की जातियों की गायन परंपरा है। परधान गोंड की एक उपजाति है और देवार धुमन्तू जाति है। इन दोनों जातियों की बोली, वाद्यों में अन्तर है। परधान जाति के कथा वाचक या वाचिका के हाथ में "किंकनी" होता है और देवारों के हाथों में र्रूंझू होता है। परधानों ने और देवारों ने पंडवानी लोक महाकाव्य को पूरे छत्तीसगढ़ में फैलाया। तीजन बाई ने पंडवानी को आज के संदर्भ में ख्याति दिलाई, न सिर्फ हमारे देश में, बल्कि विदेशों में।
Explanation:
bharthari par lekh -भारतीय ऐतिहासिक लोककथाओं में राजा भरथरी बहुत प्रसिद्ध हैं। भरथरी या संस्कृत महान कवि भर्तृहरि को गोरख वंश के योगियों में गिना जाता है। इनकी कहानियाँ बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान में लोकप्रिय है। छतीसगढ़ राज्य में रामायण, महाभारत, श्रीमद्भागवद्गीता की तरह ही भरथरी चरित भी काफी प्रचलित है। यह कथा गांवों में बुजुर्गों के मुख से पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित हो रही है।