पीढी एकान्तरण क्या है ? समझाइये।
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hiii
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Explanation:
प्रायः पौधों में दो प्रकार की पीढ़ियाँ होती हैं – बीजाणुभिद पीढी तथा युग्मोभिद पीढ़ी। दोनों प्रकार की पीढ़ियाँ जीवनवृत्त में एकदूसरे के बाद एकान्तर में आती रहती हैं। जैसे ब्रायोफाइट्स में मुख्य पादप अगुणित अर्थात् युग्मकोभिद होता है। इस पर पुंधानी व स्त्रीधानियाँ उत्पन्न होती हैं। पुंधानियों से पुमणु व स्त्रीधानियों से अण्ड बनते हैं। अण्ड व पुमणु संयोजित होकर द्विगुणित युग्मनज बनाते हैं। यह युग्मनज परिवर्धित होकर बीजाणुभिद कैप्स्यूल बनाता है। कैप्स्यूल में अर्धसूत्री विभाजन होने से अगुणित बीजाणु बनते हैं जिससे पुनः युग्मकोभिद पादप बनता है। अतः पौधे के सम्पूर्ण जीवन वृत्तान्त में यह दोनों पीढ़ियाँ एकान्तर में आती हैं, इसे ही पीढी एकान्तरण कहते हैं।
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प्रायः पौधों में दो प्रकार की पीढ़ियाँ होती हैं – बीजाणुभिद पीढी तथा युग्मोभिद पीढ़ी। दोनों प्रकार की पीढ़ियाँ जीवनवृत्त में एकदूसरे के बाद एकान्तर में आती रहती हैं। जैसे ब्रायोफाइट्स में मुख्य पादप अगुणित अर्थात् युग्मकोभिद होता है। इस पर पुंधानी व स्त्रीधानियाँ उत्पन्न होती हैं। पुंधानियों से पुमणु व स्त्रीधानियों से अण्ड बनते हैं। अण्ड व पुमणु संयोजित होकर द्विगुणित युग्मनज बनाते हैं। यह युग्मनज परिवर्धित होकर बीजाणुभिद कैप्स्यूल बनाता है। कैप्स्यूल में अर्धसूत्री विभाजन होने से अगुणित बीजाणु बनते हैं जिससे पुनः युग्मकोभिद पादप बनता है। अतः पौधे के सम्पूर्ण जीवन वृत्तान्त में यह दोनों पीढ़ियाँ एकान्तर में आती हैं, इसे ही पीढी एकान्तरण कहते हैं।