प.ए आए पनि अनजारा को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। हमारे देश के त्योहार चाहे धार्मिक ष्टि से मनाए जा रहे हैं, या नए वर्ष के आगमन के रूप में फसल की कटाई एवं खलिहानों के भरने की खुशी में हो या महापुरुषों की याद में, स. अपनी विशेषताओं एवं क्षेत्रीय प्रभाव से युक्त होने के साथ ही देश की राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक एकता और अखंडता को मजबूती प्रदान करते हैं। ये त्योहार जहाँ जनमानस में उल्लास, उमंग एवं खुशहाली भर देते हैं, वहीं हमारे अंदर देश भक्ति एवं गौरव की भावना के साथ साथ, विश्व बंधुत्व एवं समन्वय की भावना भी बढ़ाते हैं। इनके द्वारा महापुरुषों के उपदेश हमें बार-बार इस बात की याद दिलाते हैं कि सद्विचार एवं सद्भावना द्वारा ही हम प्रगति की ओर बढ़ सकते हैं। इन त्योहारों के माध्यम से हमें यह भी शिक्षा मिलती है कि वास्तव में धर्मों का मूल लक्ष्य एक है, केवल उस लक्ष्य तक पहुँचने के तरीके अलग-अलग है। 1. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 2. त्योहारों से मनुष्य को क्या शिक्षा मिलती है ? 3 .हमारे देश में त्योहार मनाने के मुख्य आधार क्या हैं ? 4. त्योहारों का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ? 5 त्योहारों और महापुरुषों के उपदेश में समानता गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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-(क) गद्यांश का उचित शीर्षक–'राष्ट्रभाषा हिन्दी'। (ख) किसी भाषा के राष्ट्रभाषा बनने के लिए उसका सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण गुण है उसका राष्ट्र में व्यापक होना।
2.त्योहारों से मनुष्य को यह शिक्षा मिलती है कि सभी धर्मों का लक्ष्य एक है, जहाँ पहुँचने के तरीके अलग-अलग हैं। प्रश्नः
3. हमारे देश में त्योहार मनाने के मुख्य आधार क्या हैं ? हमारे देश में त्योहार मनाने के अनेक आधार हैं।
4.त्योहारों से हमारे जीवन में परिवर्तन और उल्लास का संचार होता है। त्योहार किसी भी जाति और देश उसके अतीत से सम्बन्ध जोड़ने का भी उत्तम साधन हैं। जीवन में पग पग पर आने वाली कठिनाइयों तनाव और पीड़ा को भुलाने का साधन भी त्योहार ही हैं। यही कारण है कि त्योहारों के अवसर सभी मानव हर्ष से झूम उठते हैं।
5. और महापुरुषों के उपदेश में समानता गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए। त्योहारों और महापुरुषों के उपदेशों में समानता यह है कि, ये दोनों ही हमें यह याद दिलाते हैं कि अच्छे विचार और अच्छी भावना रखने से ही हम प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं।