Hindi, asked by Kumarayush49769, 3 months ago

पागल हाथी की कहानी सुनाएं​

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Answered by babitachouhan1980pkr
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पागल हाथी की कहानी

प्रेमचंद्र द्वारा

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Answered by Shreyarai984
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बादल राजा साहब की सवारी का खास हाथी था | ऐसे तो वो बादल बहोत ही सीधा और समझदार किस्म का था पर कभी कभी उसका मूड बिगड़ जाता था | और अपना आपा खो बैठता था | महावत की भी नहीं सुनता फिर तो | एक बार तो अपने पागलपन में एक महावत को ही जान से मार डाला | यह खबर जब महाराज को पता चली तो उसको महाराज की सवारी से निकाल दिया गया | उसके बाद उसको कुलियों की तरह लकडिया ढोने में लगा दिया गया |

उस पर बड़े बड़े लादे जाते और रात को बरगद के पेड़ से मोती साकल से बांध दिया जाता | खाने के लिए सुखी टहनिया दी जाती थी उन्ही को खा कर अपनी भूक शांत करता था | जब वह अपनी वर्तमान स्थति की तुलना पहले से करता तो सोच में डूब जाता की कहा में महाराज की सवारी का हाथी था कहा मामूली सा मजदुर बनकर रह गया हु यह सोच सोचकर उसे इतना गुस्सा आया की जंजीरे तोड़ दी और पहले तो जंगल की एक नदी में जाकर खूब नहाया | नहाकर जंगल में आगे बढ़ गया | इधर महाराज के सिपाही उसको पकड़ने के लिए पीछे गए पर उसके डर कर कारन कोई उसके पास नहीं गया | आज वो वापस जंगल में आ ही गया था |

जंगल में अंदर पहोचते ही उसने अपने पुराने साथियो को ढूँढना शुरू किया | कुछ देर उसके साथी दिख गए पर जब उसके साथियो ने उसके पाव में टूटी साकल देखि तो उससे मुँह फेर लिया |

उनको ऐसा लगा की एक तो यह गुलाम था और अब नमकहराम गुलाम हो गया हैं और उससे बोले तुम्हारी जगह इस जंगल में नहीं हैं और उसके साथी वह से चले गए | बादल खड़ा खड़ा उनको ताकता ही रह गया | वह वापस भागता हुए महल की तरफ बढ़ गजंगल की तरफ भाग निकला | पहले तो जंगल की एक नदी में जाकर खूब नहाया | नहाकर जंगल में आगे बढ़ गया | इधर महाराज के सिपाही उसको पकड़ने के लिए पीछे गए पर उसके डर कर कारन कोई उसके पास नहीं गया | आज वो वापस जंगल में आ ही गया था |

जंगल में अंदर पहोचते ही उसने अपने पुराने साथियो को ढूँढना शुरू किया | कुछ देर उसके साथी दिख गए पर जब उसके साथियो ने उसके पाव में टूटी साकल देखि तो उससे मुँह फेर लिया |

उनको ऐसा लगा की एक तो यह गुलाम था और अब नमकहराम गुलाम हो गया हैं और उससे बोले तुम्हारी जगह इस जंगल में नहीं हैं और उसके साथी वह से चले गए | बादल खड़ा खड़ा उनको ताकता ही रह गया | वह वापस भागता हुए महल की तरफ बढ़ गया |

पागल हाथी | Munshi Premchand ki Kahaniya in Hindi Short | Hindi Kahaniya

वह रास्ते ही में था कि उसने देखा कि राजा साहब शिकारियों के साथ घोड़े पर चले आ रहे हैं। वह फौरन एक बड़ी चट्टान की आड़ में छिप गया। धूप तेज थी, राजा साहब जरा दम लेने को घोड़े से उतरे। अचानक मोती आड़ से निकल पड़ा और गरजता हुआ राजा साहब की ओर दौड़ा।

राजा साहब घबराकर भागे और एक छोटी झोंपड़ी में घुस गये। जरा देर बाद मोती भी पहुंचा। उसने राजा साहब को अंदर घुसते देख लिया था। पहले तो उसने अपनी सूंड़ से ऊपर का छप्पर गिरा दिया, फिर उसे पैरों से रौंदकर चूर-चूर कर डाला।

वह रस्ते में चल रहा था की सामने देखा की राजा साहब अपने सिपाहियों के साथ आ रे हैं वह यह देख कर जल्दी से झाड़ियों में छिप गया तेज धुप के कारन महाराज साँस लेने के लिए घोड़े से उतरे की बादल झाड़ियों से निकला और महाराज को अपने पेरो निचे रौंदकर मार डालना चाहा पर जैसे तैसे महराज ने दीवार के पीछे जाकर अपनी जान बचाई |

बादल भी दूसरी तरफ की दीवार तोड़ कर जंगल में भाग निकला |

महाराज ने महल लौटते ही नगर में ढिंढोरा पिटवा दीया की जो व्यक्ति बादल हाथी को पकड़कर लाएगा उसको उचित इनाम दिया जायेगा | इनाम के लालच में कई लोग जंगल में उसको पकड़ने गए पर कोई लोट कर नहीं आया | महावतों में एक महावत का गोविन्द नाम का लड़का था जो सात आठ साल का था महाराज उसको और उसकी माँ को हर महीने कुछ खर्च दिया करते थे | गोविन्द था तो बालक पर हिम्मत का बहोत धनि था |

गोविन्द कमर कसकर बादल को पकड़ने कर लाने के लिए तैयार हो आया | उसकी माँ ने उसे समझया पर उसने एक न सुनी | और जंगल की और चल दिया | उसने देखा की बादल उसकी तरफ चला आ रहा हैं और उसकी चलने से ऐसा लग रहा था की उसका गुस्सा ख़त्म हो गया हैं | वो दौड़ कर पास के पेड पर चढ़ गया | ज्योही बादल पेड़ के नजदीक आया | गोविन्द ने पेड़ के उप्पर से ही उसे पुचकारा।।।। बादल। ...

बादल उसकी आवाज को अच्छे से पहचानता था वह उसकी आवाज सुनकर वही रुक गया और इधर उधर देखने लगे फिर सर उठाकर उप्पेर देखा तो गोविन्द को देखकर पहचान गया |

उससे याद आया की मेने ही इसके बाप को मारा था उसको दया आ गई और वह गोविन्द को देखकर खुश होकर सूंड हिलने लगा | गोविन्द उसके भाव को समझ गया और निचे उतर कर बादल के उप्पेर बैठ गया और दोनों राजमहल की और चल दिए |

जब गोविन्द बादल के साथ महल पहोचा तो सब देखते ही रह गए फिर भी किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी उसके पास चले जाये पर गोविन्द बोला डरो मत यह अब सीधा हो गया हैं महाराज भी डरते डरते बादल के पास आये पर उनको भी देख कर अच्छा लगा की बादल अब एक दम सीधा हो गया हैं |

महाराज ने गोविन्द को बहोत अच्छा इनाम दिया और उसे अपना ख़ास महावत बना दिया और बादल महाराज की सवारी का हाथी बन गया |

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