पिघला दे ज़ंजीरें
बना उनकी शमशीरें
कर हर मैदान फ़तेह
ओ बंदेया
कर हर मैदान फ़तेह
घायल परिंदा है तू
दिखला दे ज़िंदा है तू
बाक़ी है तुझमें हौसला
तेरे जुनूं के आगे
अम्बर पनाहे मांगे
कर डाले तू जो फैसला
रूठी तकदीरें तो क्या
टूटी शमशीरें तो क्या
टूटी शमशीरें से ही
हो-ओ
कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह, रे बंदेया
हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह, रे बंदेया
हर मैदान फ़तेह
इन गर्दिशों के बादलों पे चढ़ के
वक़्त का गिरेबां पकड़ के
पूछना है जीत का पता, जीत का पता
इन मुठ्ठियों में चाँद तारे भर के
आसमां की हद से गुज़र के
हो जा तू भीड़ से जुदा, भीड़ से जुदा
भीड़ से जुदा
कहने को ज़र्रा है तू
लोहे का छर्रा है तू
टूटी शमशीरों से ही
हो-ओ
कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह, रे बंदेया
हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान फ़तेह
कर हर मैदान…
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Initial no. of saree = 100, cost of 1 saree = Rs. 2000/-
Total CP = 100* 2000= Rs. 2,00,000/-
For making 14% profit Total SP = CP+ CP* 14/100
Total SP = 200000+ 200000*14/100 = 200000+28000 = Rs. 2,28,000/-
No of defective saree = 10
SP of one defective saree = Rs1200
SP of defective saree = 1200*10 = Rs12,000/-
Therefore SP of good saree =Total SP - SP of defective saree = 228000-12000= Rs2,16,000/-
No. of good saree = 200-10 =190
Rate of good saree = 216000/190 = Rs.1136.84
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