पाहुन किसे कहा गया है और क्यों
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pahun megho ko Kaha gya h kyunki jab gaon m koi pahun Aate h toh unka swagat Kiya jata h usi Prakar jab megh aate h toh badal tehniya aur baaki sab unka swagat karte h
Answer: पाहुन. बादलों को कहा गया है। पाहुन का तात्पर्य है अतिथि। बादलों का स्वागत अतिथि की तरह हो रहा है। .
Explanation:
पाहुन. बादलों को कहा गया है। पाहुन का तात्पर्य है अतिथि। बादलों का स्वागत अतिथि की तरह हो रहा है। .
उपरोक्त शब्द " पाहुन", मेघ आए' कविता से लिया गया हैं| मेघ आए' कविता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना द्वारा लिखित हैं
मेघ आए कविता में मेघों के आने की तुलना सज कर आए प्रवासी या अतिथि (दामाद) से की है। ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर उल्लास का जो वातावरण बनता है इसी के आधार पर मेघों के आने का वर्णन करते हुए कवि ने उसी उल्लास को इस कविता में दिखाया है।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’—
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करा गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
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