Hindi, asked by bishtnaveen, 11 months ago

पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पूनँ पहार।
ताते ये चाकी भली, पीस खाय संसार।।
ESKAY BHAVARTH LIKHAY​

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Answered by adityaaryaas
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Answer:

और ददा कस छा तुमि?

यौ दोहा जे तुमुल पूछि रखौ, वी अर्थ यस हई.....

निर्गुण संत कबीर इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि

अगर पत्थर(मूर्ति) पूजने से भगवान मिल जाएँ तो मैं पूरा पर्वत ही पूजना चाहूँगा। इस(पत्थर की मूर्ति) से तो अच्छी व पत्थर की चक्की है जिसके द्वारा अन्न पीसकर, पूरा संसार अपना पेट भर पाता है।

Answered by nidhiagr3568
6

Answer:

इस दोहे का अर्थ यह है की पत्थर की पूजा करने से भगवन मिलते है तो इसे अच्छा यह की आटा चक्की को पूज लू।

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