पंजाब हरियाणा मे jalakarant का समसिया का मुख्य करन क्या है
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पंजाब हरियाणा में जल आक्रांता का समस्या का मुख्य कारण क्या है कि आपने हिंदी तो बड़ी अच्छी इसमें पुट अप की है बड़ी अच्छी दी है आक्रांता का मतलब हमला करने से होता है किंतु अब यहां क्या लगाए वर्षा के हमले से लगाए तो मैं इसका संक्रमण से अभिप्राय लगाना चाह रहा हूं कि शायद आप यह कहना चाह रहे होंगे कि आक्रांता तो आदमी होता है जिसका आक्रमण होता है राजा महाराजा जैसे पहले आक्रमण करते थे उसको आक्रांता कहा जाता था किंतु हो सकता है आपका कहीं से पढ़ाओ मैंने स्कूल आक्रांता शब्द आक्रमण करने के रूप में ही पड़ा है तो मित्र यदि आपका आक्रांता से भी प्यार संक्रमण से है तो उसका उत्तर में आपको बता देता हूं कि आपको उचित लगे तो ठीक है वह बोली यदि नहीं है तो आप उसका स्पष्टीकरण करते हुए दूसरा प्रश्न पूछ सकते हैं पंजाब हरियाणा में जल अक्रांता की जो समस्या है उसका मुख्य कारण है हरित क्रांति को प्राप्त करने के लिए अत्यधिक मात्रा में सिंचाई कीटनाशक उर्वरक आदि का प्रयोग क्योंकि आप जानते ही हैं कि पानी में तत्वों को खोलने की क्षमता होती है और जब आप अति अधिक मात्रा में कीटनाशक और उर्वरकों का प्रयोग करते हैं तो वह घोलकर पौधों की जड़ों में तो पूछते हैं और जब आप अधिक मात्रा में रेत व पौधे और निश्चित रूप में एक निश्चित मात्रा में उसको अंगिका करते हैं अक्सर आपने देखा होगा कि कोई व्यक्ति भी अति अति भोजन करता है तो कुछ दिनों पश्चात 10:15 2 साल बाद उसका पेट खराब होने लगता है वहीं पर कार्य स्थिति चुकी इसीलिए कहा भी गया अति का भला न बोलना अति का भला न च्यू अति का भला न बरसना और अति का भला न कोई भी चीज अतिथि नहीं होती है और इसके मामले में अति उर्वरक और अति कीटनाशक और अति सिंचाई तीनों ही महत्वपूर्ण है तो कीटनाशक घोलकर जल के माध्यम से पृथ्वी में नीचे को रिश्ते जाते हैं कितनी पौधे को आवश्यकता होती है उतनी उस से ले लेते हैं और बाकी डिस्को नीचे चले जाते हैं और जब कभी वर्षा ऋतु आती है या सिंचाई होती है तो फिर नीचे और नीचे और इस तरह से आपके भूमिगत जल में वह सब कीटनाशक मिल जाते हैं और इस कारण पृथ्वी में संख्या की हार से निक्की और अन्य रासायनिक पदार्थों की बहुलता हो जाती है जिसके कारण जल संक्रमित होता है और नागरिकों में बीमारियां फैलती है जन के मुख्य थे भूमिगत जल बहुत ज्यादा संक्रमित हो रहा है और रही बात नदियों के बहते हुए जल किया नेहरू के तो उसमें आप जानते हैं कि किस तरह से लोग गंदगी फैला रहे हैं उनको सभी को अपनी धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अपना अवशेष या विशिष्ट नदियों में चलाना है किंतु यही स्थिति उसी समय ठीक थी जब उसमें प्रकृति में स्वयं में क्षमता थी एक समय आता है जैसे व्यक्ति का होता है कि जब जवान होता है वह काफी काम कर सकता है जो व्रत होता है उसकी क्षमता थोड़ी घट जाती है तो वही स्थिति के प्राचीन काल में जनसंख्या कम होती थी तो बहन करने की क्षमता थी उड़ीसा में जनसंख्या इतनी अधिक है कि हमें उन रीति-रिवाजों को छोड़ना पड़ेगा यह विनम्र निवेदन भी है मेरा और रोज भी है क्योंकि हमें देखते हैं कि अधिकांश नदियों में कूड़े और कचरे के ढेर लगे हुए हैं उनसे में बचना होगा उसका कोई और समाधान ढूंढना होगा जिससे हमारे धार्मिक भावनाएं भी आहत ना हो और नदियां भी स्वच्छ रखें धन्यवाद जय हिंद
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