पूंजी की 5 विशेषताएं लिखिए?
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→ पूंजी उत्पादन का गौण साधन है- भूमि तथा श्रम उत्पादन के अनिवार्य साधन समझे जाते हैं, जिनके बगैर उत्पादन संभव नहीं है। पूंजी के विषय में हालांकि यह कहना कि वह उत्पादन का गौण साधन है, आधुनिक उत्पादन प्रणाली के संदर्भ में उचित नहीं लगता, हर उत्पादन हेतु पूंजी आवश्यक नहीं है, जिस तरह कि भूमि तथा श्रम है |
→ पूंजी उत्पत्ति का एक निष्क्रिये साधन है- भूमि की तरह ही पूंजी भी उत्पत्ति का एक निष्क्रिय साधन है । बगैर श्रम के सहयोग के पूंजी बेकार पड़ी रहेगी, उसमें उत्पत्ति कर सकने का सामर्थ्य नहीं होता।
→पूंजी उत्पादन का मनुष्यकृत साधन है- पूंजी का निर्माण मनुष्य के श्रम से होता है । पूंजी बचत से पैदा होती है तथा बचत मनुष्य द्वारा की जाती है। अतः पूंजी मनुष्यकृत साधन है ।
→ पूंजी की पूर्ति में परिवर्तन आसानी से किया जा सकता है- भूमि का क्षेत्रफल निश्चित होने से उसकी पूर्ति लगभग स्थिर रहती है । श्रम की पूर्ति को भी शीघ्रता से नहीं बढ़ाया जा सकता है। पूंजी मनुष्यकृत साधन होने से इसकी पूर्ति को आसानी से घटाया-बढ़ाया जा सकता है।
→ पूंजी बहुत गतिशील होती है- भूमि में स्थान गतिशीलता का सर्वथा अभाव रहता है । श्रम भी कई कारणों से कम गतिशील होता है । पूंजी में उत्पत्ति के अन्य साधनों की तुलना में स्थान एवं व्यावसायिक गतिशीलता बहुत ज्यादा होती है ।
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