Economy, asked by sy5372607, 1 month ago

पूंजी की सीमांत क्षमता को निर्धारित करने वाले तत्वों ki byakhiya kijiye

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Answered by sainipiyush697
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निवेश या विनियोग (investment) का सामान्य आशय ऐसे व्ययों से है जो उत्पादन क्षमता में वृद्धि लायें। यह तात्कालिक उपभोग व्यय या ऐसे व्ययों संबंधित नहीं है जो उत्पादन के दौरान समाप्त हो जाए। निवेश शब्द का कई मिलते जुलते अर्थों में अर्थशास्त्र, वित्त तथा व्यापार-प्रबन्धन आदि क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है। यह पद बचत करने और उपभोग में कटौती या देरी के संदर्भ में प्रयुक्त होता है। निवेश के उदाहरण हैं- किसी बैंक में पूंजी जमा करना, या परिसंपत्ति खरीदने जैसे कार्य जो भविष्य में लाभ पाने की दृष्टि से किये जाते हैं। सामान्यतः इसे किसी वर्ष में पूँजी स्टॉक में होने वाली वृद्धि के रूप में परिभाषित करते हैं। संचित निवेश या विनियोग ही पूँजी है।[1]

निवेश आय का वह भाग है जो वास्तविक पूंजी निर्माण के लिये खर्च किया जाता है। इसमें नए पूंजीगत उपकरणों तथा मशीनों, नई इमारतों का निर्माण, स्टॉक में वृद्धि आदि को शामिल किया जाता है। केन्ज के अनुसार, "निवेश से अभिप्राय पूंजीगत पदार्थों में होने वाली वृद्धि से है।" प्रत्येक अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास और पूर्ण रोजगार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये निवेश का बहुत अधिक महत्व है। निवेश में वृद्धि होने के कारण कुल मांग में ही नहीं बल्कि कुल पूर्ति में भी वृद्धि होती है। इस प्रकार पूर्ण रोजगार को प्राप्त करने के लिये निवेश एक महत्वपूर्ण तत्व है।

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