पूंजीवादi और समाजवादi मॉडल में क्या अंतर है koi do
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Explanation:
पूँजीवाद-
पूँजीवाद क्या है इसको समझने के लिए इसकी परिभाषा समझना ज्यादा जरूरी है-
“पूंजीवाद एक सामाजिक व्यवस्था है, तथा यह व्यक्तिगत अधिकारों के सिद्धांत पर आधारित है। पूँजीवाद राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में आर्थिक स्वतंत्रता की बात करता है। यह पूर्णरूप से वस्तुनिष्ठ नियमों की बात करता है। पूँजीवाद एक खुले बाज़ार की बात करता है।”
पूँजीवाद को निम्नलिखित बिन्दुओं से समझा जा सकता है-
(i) पूंजीवादी विचारधारा में हम यह पाते हैं कि यहाँ पूंजीपति अपना धन व्यय करता है जिससे वह और अधिक धन बना सके।
(ii) पूंजीवादी विचारधारा में संपत्ति को विभिन्न प्रकार से संस्थाओं और तंत्रों के उपयोग से पूँजी या फायदे में परिवर्तित किया जाता है।
समाजवाद
व्यवस्थित रूप से समाज के विभिन्न अंगों व समाज को साथ में ले चलने की वकालत करता है। इसको समझने के लिए सर्वप्रथम हमें समाजवाद शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है। समाजवाद अंग्रेजी भाषा के सोशलिज़्म (Socialism) शब्द का हिन्दी अनुवाद है। सोशलिज़्म शब्द की उत्पत्ति ‘सोशियस’ (Socious) शब्द से हुर्इ जिसका अर्थ साथी होता है जो आगे चलकर ‘सोशल’ (Social) में बदला जिसका अर्थ समाज हुआ। इसी प्रकार से अध्ययन करने पर पता चलता है कि यह समाज के वाद या समाज के आधार पर कार्य करता है। समाजवाद को समझने के लिए मुख्य रूप से तीन बिन्दुओं को समझना होगा-
1. समाजवाद एक पूर्णरूपेण राजनैतिक सिद्धांत है।
2. समाजवाद एक राजनैतिक क्रांति के रूप में उभरा है।
3. समाजवाद को एक विशेष प्रकार की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था के लिए प्रयोग किया जाता है। समाजवाद को समझने के लिए इसके प्रमुख सिद्धांत अथवा विशेषताओं को समझना महत्वपूर्ण है-
(i) इस व्यवस्था में किसी एक व्यक्ति की तुलना में समाज को अधिक तवज्जो दी जाती है। यह समाज के हर एक तबके को समाज में एक उत्तम स्थान देने की वकालत करता है।
(ii) समाजवाद पूर्ण रूप से पूंजीवाद का विरोधी है। यह मानता है कि समाज के अन्दर व्याप्त असमानता पूँजीवाद के कारण ही है। यह उत्पाद से लेकर कार्य को समाज के स्तर पर देखता है।
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Explanation:
साम्यवाद में राज्य की अवधारणा नहीं होती वही समाजवाद में राज्य उत्पादन के सभी संसाधनों का स्वामी होता है जबकि पूंजीवाद में राज्य की अवधारणा होती है किन्तु राज्य व्यापार आदि विषयों से दूर रहते हैं।