) पं. जवाहरलाल नेहरू अपने पत्र के माध्यम से इंदिरा को क्या समझाना चाहते थे?
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पत्र की मूल कॉपी तो अंग्रेजी में है, जिसका हिंदी अनुवाद प्रख्यात साहित्यकार प्रेमचंद ने किया था।
नई दिल्ली देश और पूरी दुनिया के बच्चे भले ही जवाहरलाल नेहरू को 'चाचा नेहरू' के रूप में याद करते हैं। लेकिन आज बाल दिवस के अवसर पर हम आपको पिता के रूप में इंदिरा गांधी को लिए गए नेहरू जी एक पत्र के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर किसी को पढ़ना चाहिए। ये पत्र उन्होंने दस साल की इंदिरा गांधी के लिए लिखा था जब वे मसूरी में थीं। पत्र की मूल कॉपी तो अंग्रेजी में है, जिसका हिंदी अनुवाद प्रख्यात साहित्यकार प्रेमचंद ने किया था।
पत्र कुछ इस तरह है-
'मैं आज तुम्हें पुराने जमाने की सभ्यता का कुछ हाल बताने जा रहा हूं। लेकिन ये जानने से पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि आखिर सभ्यता का मतलब क्या है? शब्दकोशों में तो इसका अर्थ दिया गया है- अच्छा करना, सुधारना, जंगली आदतों की जगह अच्छी आदतें उत्पन्न करना और इसका व्यवहार किसी समाज और जाति के लिए ही किया जाता है। आदमी की जंगली दशा को, जिस वक्त वह बिल्कुल जानवरों-सा व्यवहार करता है, उसे बर्बरता कहते हैं। वहीं सभ्यता बिल्कुल उसकी विपरीत है। तो हम बर्बरता से जितना ही दूर होते जाते हैं उतने ही सभ्य होते जाते हैं।
कैसे तय हो कौन-सा समाज सभ्य
लेकिन हमें ये कैसे पता कर सकते हैं कि कोई इंसान या समाज जंगली है या सभ्य? यूरोप के बहुत-से आदमी मानते हैं कि वो लोग ही सभ्य हैं और एशियावाले जंगली हैं। क्या इसका यह कारण है कि यूरोपवाले एशिया और अफ्रीकावालों से ज्यादा कपड़े पहनते हैं? लेकिन पहनावा तो आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है। शीत देश में लोग गर्म देशवालों से ज्यादा कपड़े पहनते हैं। तो क्या इसका ये कारण हो सकता है कि जिसके पास बंदूक है वह निहत्थे आदमी से ज्यादा मजबूत और इसलिए ज्यादा सभ्य है? चाहे वह ज्यादा सभ्य हो या न हो, किसी भी कमजोर आदमी के पास हिम्मत नहीं है कि वह कह सके आप सभ्य नहीं हैं। कहीं मजबूत आदमी झल्ला कर उसे गोली मार दे, तो वह बेचारा क्या करेगा?
Answer:
Explanation: Jawaharlal Nehru Indira ko Samjhana Chahte the ki vah aaj Indra ko purane Jamane ki sabhyata ka khuchhal batane ja rahe the lekin yah janne se pahle Hamen yah samajh Lena chahie Ki Aakhir sabhyata ka matlab kya hai ?