पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ है?
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Answer:
पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हैं?
पाकिस्तान में सेना, धर्मगुरु और भू-स्वामी अभिजनों का सामाजिक दबदबा है। ...
पाकिस्तान की भारत के साथ तनातनी रहती है। ...
राजनीतिक दलों के स्वार्थ साधन तथा लोकतंत्र की धमाचौकड़ी से पाकिस्तान की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी।
Answer:
पाकिस्तान सरकार (उर्दू: حکومتِ پاکستان; हुक़ूमत-ए-पाकिस्तान) वफ़ाक़ी संसदीय प्रणाली के तहत काम करती है जिस में राष्ट्रपति राज्य और प्रधानमन्त्री सरकर के नेता होते हैं।
पाकिस्तान सरकार संघीय संसदीय प्रणाली है। जिसमें राष्ट्रपति का चयन जनता की बजाय संसद अथवा निर्वाचन समिति करता है। इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के प्रमुख राष्ट्रपति होते हैं जो पाकिस्तान की सेना के सर्वोच्च आदेशकर्ता भी होता है। प्रधानमन्त्री, प्रशासनिक मामलों का प्रमुख होता है, वह संसदीय बहुमत से चुना जाता है। पाकिस्तान में राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री का चयन और पदग्रहण बिल्कुल भिन्न पहलू हैं और उनके शासनकाल का संवैधानिक रूप से आपस में कोई सम्बन्ध नहीं होता है। 6 सितम्बर 2008 को पाकिस्तान की निर्वाचन समिति कि सेनेट(उच्चसदन) , क़ौमी असेम्ब्ली (निम्नसदन) और चारों प्रान्तीय विधानसभाओं से मिल कर बनता है। आम तौर पर प्रधानमन्त्री निचले सदन के बहुमत दल के अन्तर्गत आते हैं और देश की व्यवस्था संघीय मन्त्रिमण्डल की सहायता से चलती है जो मजलिस-ए शूरा के दोनों सदनों, उच्च और निम्न से चुने जाते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय विधानसभा सदस्यों और प्रान्तीय विधायिका के सदस्य, जनता के मतदान के माध्यम से चुने जाते हैं। प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति उस पार्टी के चुने जाते हैं जिनका क़ौमी असेम्ब्ली में बहुमत हो। सभापति भी बहुल पार्टी का ही होता है, हालाँकि विपक्षी दलों को भी बड़े उदय दी जा सकते हैं।
Explanation:
संसदीय प्रणाली में दो पार्टियाँ महत्व होता है एक वह पार्टी जो सभी पार्टियों से ज़्यादा सीटें हासिल कर इसे बहुल या सरकार बनाने वाली पार्टी और दूसरी वह पार्टी जो दूसरे नम्बर पे सबसे निशतें प्राप्त करे उसे विपक्षी पार्टी कहा जाता हेमतला पाकिस्तान 2013 के चुनाव में मुस्लिम लीग की सबसे ज्यादा सीटें थीं तो वह सरकार बना लिया और दूसरे नम्बर पे पुपल्स पार्टी थी जो विपक्ष में खड़ी हो। अगर सरकारी पार्टी कोई फैसला लिया और विपक्ष इस निर्णय का विरोध किया तो सरकारी पार्टी का वह निर्णय खारिज किया जाएगा।