पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए: मीठे वचन सुनाय, विनय सब ही की कीजे॥
कह गिरधर कविराय, अरे यह सब घट तौलत
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कवि के कहना का तात्पर्य यह है कि धन-दौलत एक अस्थिर वस्तु है, लेकिन हमारा जो व्यवहार है वह अमूल्य है, अटूट है, वही सच्ची दौलत है। गुनके गाहक सहस नर, बिन गुन लहै न कोय । जैसे कागा-कोकिला, शब्द सुनै सब कोय । शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबे सुहावन ।
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