पाकर प्रभु तुमसे अमर दान , करके मानव का परित्राण , ला सकू विस्व में एक बार, फिर से नवजीवन का विहान भावार्थ??
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यह पंक्तियां सुमित्रानंदन पंत की कविता "नव विहान" से ली गई हैं। इन पंक्तियों का अर्थ है,"हे प्रभु मैं तुमसे अमर दान प्राप्त कर मानव का रक्षण कर सकूं और इस विश्व में एक बार फिर नवजीवन की सुबह ला सकूं।
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पकतलनुपपतक़वदवगवगुदुदपदपदपदप
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