पंखों से रे, फैले-फैले ताड़ों के दल,
लंबी-लंबी अंगुलियाँ हैं, चौड़े करतल।
तड़-तड़ पड़ती धार वारि की उन पर चंचल,
टप-टप झरती कर मुख से जल बूंदें झलमल।
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पंखों से re फैले फैले ताड़ों के दल, लंबी लंबी अंगुलिया हैं, चौड़े करतल । तड़ तड़ पड़ती धार वारी की उन पर चंचल
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