प्लाज्मिड की पांच विशेषताएं
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प्लाज्मिड (Plasmid) - 1952 में सर्वप्रथम लेडरबर्ग ने इसको जीवाणु कोशिका में अतिरिक्त गुणसूत्र के रूप में देखा था | इनकी निम्न विशेषताएँ होती है -
(1) ye जीवाणु कोशिका में गुणसूत्र के अतिरिक्त पाएं जाते है |
(2) ये वृत्ताकार तथा द्विरज्जुकी , सर्पिलाकार अणु होते है |
(3) ये अपनी पुनरावृत्ति करने के लिए स्वतन्त्र होते है |
(4) ये जीवाणु की वृद्धि व् उसके जीवित रहने के लिए आवश्यक नहीं है
(5) इनमे विशिष्ट प्रतिबन्ध स्थल (Restriction sites) होती है म जहां वांछित जीन का निवेश कराया जा सके |
(6) इनमे चिह्नित स्थल (Marker sites) उपलब्ध होते है |
(7) प्लाज्मिड में तीन जीन se लेकर हजार जीन तक हो सकती है |
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प्लाज्मिड की पांच प्रमुख विशेषताएं
1- प्लाज्मिड जीवाणु कोशिकाओं के अंतर्गत गुणसूत्र के अतिरिक्त पाए जाते हैं ।
2- प्लाज्मिड वृताकार आकृति के एक अणु होते हैं । इसके अलावा प्लाज्मिड हमें सर्किल आकार तथा की आकार के भी देखने को मिलते हैं ।
3- प्लाज्मिड अपनी पुनरावृति करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं यानी की प्लाज्मिड अपनी पुनरावृति करते हैं ।
4- प्लाज्मिड जीवाणु कोशिकाओं की वृद्दि व उसके जीवित रहने के लिए आवश्यक नहीं है ।
5- इन प्लाज्मिड के अंतर्गत विशिष्ट प्रतिबंधक स्थल होते हैं, जहां पर वांछित जीन का निवेश करवाया जा सकता है ।
प्लाज्मिड- प्लास्मिड डीएनए के टुकड़े होते हैं जो स्वाभाविक रूप से बैक्टीरिया कोशिकाओं पर पाए जाते हैं । वे कली के बाहर स्थित होते हैं, और वे बैक्टीरिया को बढ़ने और जीवित रहने में मदद करते हैं ।
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