पाल और सेन युग में बंगाल के वाणिज्य एवं कृषि की तुलना कीजिए
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पाल साम्राज्य मध्यकालीन "उत्तर भारत" का सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण साम्राज्य माना जाता है, जो कि 750-1174 इसवी तक चला। "पाल राजवंश" को "पाल क्षत्रिय राजवंश" कहा गया है ।पाल क्षत्रिय राजवंश ने भारत के पूर्वी भाग में एक विशाल साम्राज्य बनाया। इस राज्य में वास्तु कला को बहुत बढावा मिला। पाल राजाओ के काल मे बौद्ध धर्म को बहुत बढावा मिला। पाल राजा बौध्द धर्म को भी मानने वाले थे । पाल राजाओ के समय में बौद्ध धर्म को बहुत संरक्षण मिला। पाल राजो ने बौद्ध धर्म के उत्थान के लिए बहुत से कार्य किये जो कि इतिहास में अंकित है। पाल राजाओं ने शिक्षा के लिए विश्वविद्यालयों का निर्माण कराया ।यह पूर्व-मध्यकालीन राजवंश था। जब हर्षवर्धन काल के बाद समस्त उत्तरी भारत में राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक गहरा संकट उत्पनन्न हो गया, तब बिहार, बंगाल और उड़ीसा के सम्पूर्ण क्षेत्र में पूरी तरह अराजकत फैली थी। इसी समय गोपाल ने बंगाल में एक स्वतन्त्र राज्य घोषित किया। जनता द्वारा गोपाल को सिंहासन पर आसीन किया गया था। वह योग्य और कुशल शासक था, जिसने ७५० ई. से ७७० ई. तक शासन किया। इस दौरान उसने औदंतपुरी (बिहार शरीफ) में एक मठ तथा विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया।
गोपाल के बाद उसका पुत्र धर्मपाल ७७० ई. में सिंहासन पर बैठा। धर्मपाल ने ४० वर्षों तक शासन किया। धर्मपाल ने कन्नौज के लिए त्रिदलीय संघर्ष में उलझा रहा। उसने कन्नौज की गद्दी से इंद्रायूध को हराकर चक्रायुध को आसीन किया। चक्रायुध को गद्दी पर बैठाने के बाद उसने एक भव्य दरबार का आयोजन किया तथा उत्तरापथ स्वामिन की उपाधि धारण की। धर्मपाल बौद्ध धर्मावलम्बी था। उसने काफी मठ व बौद्ध विहार बनवाये। धर्मपाल एक उत्साही बौद्ध समर्थक था उसके लेखों में उसे परम सौगात कहा गया है। उसने विक्रमशिला व सोमपुरी प्रसिद्ध बिहारों की स्थापना की। भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया था। उसके देखभाल के लिए सौ गाँव दान में दिये थे। उल्लेखनीय है कि प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय एवं राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने धर्मपाल को पराजित किया थ (2000-2050 ई.)
धर्मपाल के बाद उसका पुत्र देवपाल गद्दी पर बैठा। इसने अपने पिता के अनुसार विस्तारवादी नीति का अनुसरण किया। इसी के शासनकाल में अरब यात्री सुलेमान आया था। उसने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाई। उसने पूर्वोत्तर में प्राज्योतिषपुर, उत्तर में नेपाल, पूर्वी तट पर उड़ीसा तक विस्तार किया। कन्नौज के संघर्ष में देवपाल ने भाग लिया था। उसके शासनकाल में दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे। उसने जावा के शासक शैलेंद्र के आग्रह पर नालन्दा में एक विहार की देखरेख के लिए ५ गाँव अनुदान में दिए।
देवपाल ने ८५० ई. तक शासन किया था। देवपाल के बाद पाल वंश की अवनति प्रारम्भ हो गयी। मिहिरभोज और महेन्द्रपाल के शासनकाल में प्रतिहारों ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकांश भागों पर अधिकार कर लिया।
The Pala Empire (r. 750-1162 CE) was an imperial power during the post-classical period in the Indian subcontinent, which originated in the region of Benga