पुलिस अधिकारी जहाँ गश्त लगा रहा था, वह स्थान सुनसान क्यों था?
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राजधानी में डॉल्फिन मोबाइल से लेकर सात तरह की गश्त का दावा पटना पुलिस करती है, लेकिन इसकी हनक जमीन पर नहीं दिखती। पटना और आसपास इलाकों में दिन से लेकर रात तक 500 से अधिक पुलिसकर्मियों व अधिकारियों को गश्त में लगाया गया है। इसके बावजूद हत्या, डकैती, चोरी, लूट, चेन स्नैचिंग की वारदात नहीं थम रही है। अपराधी दिनदहाड़े घटनाओं को अंजाम देकर आराम से फरार हो जा रहे हैं। भास्कर टीम को ग्राउंड रियलिटी चेक में दिखा कि पैट्रोलिंग टीम संदिग्धों की जांच नहीं कर रही। न सुबह में पार्कों के पास पुलिस रहती है और न ही ज्यादातर इलाकों में रात में दिखती है।
हाल ही में एसएसपी ने मातहत अधिकारियों को शहर में गश्त करने का एक खाका तैयार कर दिया था लेकिन इसपर अमल हाेता नहीं दिखता। देर रात कुछ स्थानों को छोड़कर पुलिस कहीं नहीं रहती है। इधर एक माह में संगीन अपराध के मामले बढ़ने के बाद भी पुलिस गश्ती ठीक से नहीं होना कई सवाल खड़े करते हैं। जब डीआईजी या एसएसपी खुद सड़क पर उतरते हैं तब पुलिस सक्रिय दिखती है। जैसे ही वरीय पुलिस अधिकारी जाते हैं, हालत जस की तस हो जाती है। सुनसान सड़कों पर पुलिस अधिकांश जगहों पर नहीं दिखती है। राजधानी के कई प्रमुख चौक-चौराहों पर भी पुलिस नदारद रहती है।