पॉलीसिफोनिया के जीवन चक्र को समझाइए
Answers
इस प्रकार Polysiphonia का प्रमुख पौधा haploid होता है एवं इस पर नर अथवा मादा जननांग विकसित होते हैं। जीवन-चक्र में दो diploid अवस्थाएँ भी होती हैं; जैसे- . carposporophytic अवस्था एवं tetrasporophytic अवस्था। इस प्रकार से Plysiphonia का जीवन-चक्र triphasic type अथवा haplo-diplo-biontic प्रकार का होता है।
please mark me brain mark list
Answer:
पॉलीसिफोनिया के जीवन चक्र में तीन प्रकार के पौधे होते है,
1. गैमिटोफिटिक पौधे, 2. कार्पोस्पोरोफिटिक पौधे, 3. टेट्रास्पोरोफिटिक पौधे।
Explanation:
1. गैमिटोफिटिक पौधे- यह पौधे अगुणित, स्वतंत्र आवा दोनों प्रकार के होते हैं जैसे नर, मादा पौधे।
2. कार्पोस्पोरोफिटिक पौधे- यह पौधे द्विगुणित होते हैं और यह पर गैमिटोफाइट आश्रित होते हैं।
3. टेट्रास्पोरोफिटिक पौधे- यह पौधे द्विगुणित तथा पतन्त्र अवस्था में होते हैं,और इसमें अगुणित ट्रांसपोर्टर बनते हैं।
नर जननांग:-
ये गैमिटोफिटिक शुक्राणु कहलाता हैं। और अवगुणित गैमिटोफिटिक पौधों पर विकसित होता हैं। नर जननांगों में बहुत-सी शुक्राणु मातृ कोशिकाएं होती हैं। इन
कोशिकाओं से शुक्राणु या एथेरिडिया विकसित होते हैं। , प्रत्येक शुक्राणु में एक अचल नर गैमीट या शुक्राणु होता है।
मादा जननांग:-
मादा गैमिटोफिटिक पौधों पर लगे रहते हैं। मादा जननांगों को कार्पोगोनिया कहते हैं। प्रत्येक कार्पोगोनियम एक फ्लास्क के आकार की रचना होती है। जिसके नीचे का भाग फूला हुआ होता है और एक लम्बी गर्दन की तरह की ट्राइकोगाइन होती है। यह मादा ट्राइकोब्लास्ट के ऊपर विकसित होती है।
विकास -कार्पोगोनियम एक कार्पोगोनियल फिलामेंट पर उपस्थित रहती है। पूरा कार्पोगोनियम फिलामेंट एक सहायक सेल से विकसित होता है। इस सहायक सेल की पार्श्व पक्ष से एक पार्श्वबन्ध्य तन्तुपार्श्व बाँझ। फिलामेंट एवं आधार की ओर से एक बेसल बाँझ फिलामेंट निकलता है।
इस अवस्था में निषेचन होता है। पानी की सहायता से, न चलने वाले नर गैमीट ट्राइकोगाइन के पास तक पहुँचते हैं। एक नर गैमीट एवं ट्राइकोगाइन के बीच की भित्ति घुल जाती है।प्लास्मोगैमी एवं कार्योगामी की क्रियाएँ होती हैं तथा इस प्रकार से कार्पोगोनियम में एक द्विगुणित जाइगोटिक केन्द्रक जाइगोटिक न्यूक्लियस का निर्माण होता है।
निषेचन के उपरान्त परिवर्तन - निषेचन के बाद सहायक सेल से एक सहायक प्रकोष्ठ का निर्माण होता है। यह कार्पोगोनियम से जुड़ जाती है। इसके उपरान्त सहायक सेल, बेसल स्टेराइल फिलामेंट एवं पार्श्व बाँझ फिलामेंट की कोशिकाएँ आपस में मिलकर एक संयुक्त कोशिका का निर्माण करती हैं जिसे अपरा कोशिका कहते हैं।
इस अपरा कोशिका से कुछ 3-4 कोशिकाओं वाले
कार्पोगोनियल फिलामेंट्स का निर्माण होता है जिनके ऊपर की कोशिका एक कार्पोस्पोरेन्जियम की तरह कार्य करने लगती है। प्रत्येक कार्पोस्पोरेन्जियम में एक द्विगुणित कार्पोस्पोर होता है। इन सभी रचनाओं जैसे अपरा कोशिका, कार्पोस्पोरैंगिया और कार्पोस्पोरेस के चारों ओर कुछ वर्धी शाखाएँ विकसित हो जाती है। वर्धी शाखाओं से घिरी हुई रचना को कार्पेस्पोरोफाइट कहते हैं। प्रत्येक कार्पोस्पोर के उगने से एक अलग प्रकार के द्विगुणित पौधे का निर्माण होता है। यह पौधा टेट्रास्पोरोफाइटिक पौधा कहलाता है।इसमें टेट्रास्पोरैंगिया का निर्माण होता है। प्रत्येक टेट्रास्पोरैंगियम में एक द्विगुणित केन्द्रक होता है जिसमें अर्द्धसूत्री विभाजन होने से चार अगुणित टेट्रास्पोर्स का निर्माण होता है। प्रत्येक टेट्रास्पोर बाहर निकलकर उगता है एवं एक अगुणित पौधे माण करता है। इस अगुणित पौधे पर बाद में मादा या नर जननांगों का विकास होता है।
इस प्रकार पॉलीसिफोनिया का प्रमुख पौधा अगुणित होता है एवं इस पर नर अथवा मादा जननांग विकसित होते हैं। जीवन-चक्र में दो द्विगुणित अवस्थाएँ भी होती हैं; जैसे- कार्पोस्पोरोफाइटिक अवस्था एवं टेट्रास्पोरोफाइटिक अवस्था। इस प्रकार से पॉलीसिफोनिया का जीवन-चक्र त्रिफसिक प्रकार अथवा हपलो-कूटनीति-बायोन्टिक प्रकार का होता है।
अतः सही उत्तर है, पॉलीसिफोनिया के जीवन चक्र में तीन प्रकार के पौधे होते है,1. गैमिटोफिटिक पौधे, 2. कार्पोस्पोरोफिटिक पौधे, 3. टेट्रास्पोरोफिटिक पौधे।
#SPJ3