२) पुलिस की आत्मकथा
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एक पुलिसवाले की आत्मकथा
पुलिसवाला एक जानी पहचानी हस्ती है। वह समाज का सेवक होता है। वह अपने कपड़ों से आसानी से पहचाना जाता है। वह लोगों का जीवन रक्षक होता है। उसका कार्य कानून तथा नियमों को बरकरार रखना होता है। वह लोगों के जीवन की तथा चीजों की रक्षा करता है। चाहे उसके काम के घंटे तय होते हैं, फिर भी उसे हर समय कार्य करते रहना पड़ता है। वह चौराहों पर या पुलिस स्टेशनों पर देखने को मिलते हैं।
पुलिसवाले खाकी वर्दी पहनते हैं। उन्होंने अपने सिर पर पगड़ी या टोपी पहनी होती है। उन्होंने अपनी कमर पर नम्बर बैल्ट पहनी होती है। अपने हाथ में डंडा पकड़ा होता है। उनकी जेब में सीटी भी रखी होती है। कई बार उन्हें मोटरसाइकिल या पुलिस वैन में जाते भी देखा जा सकता है।
एक पुलिसवाला कई कार्य करता है। वह वी.आई.पी. लोगों को सुरक्षा भी प्रदान करता है। वह असामाजिक तत्वों पर नज़र रखता है। वह शक के अधीन लोगों को रोकता है तथा जनकी तहकीकात करता है। वह कई बार सड़क पर भीड़ को भी नियंत्रित करता है। वह कटर, कार तथा ट्रक चलाने वाले लोगों के ज़रूरी कागजात तथा लाईसैंस देखता है।
पुलिसवाले को कभी भी लोगों द्वारा सराहा नहीं जाता। कई बार वह निर्दोष लोगों पर हालत इल्जाम लगा देता है। पुलिस के पास बहुत लोगों की मौत होना भी आम बात हो चुकी है। कई पुलिसवाले गुनाहगारों से रिश्वत भी लेते हैं। वह गरीब तथा निर्दोषों पर अत्याचार करता है। वह उन पर झूठे मुकद्दमे डाल कर उन्हें फंसा देता है। कई तो झूठे एनकाऊंटरों में जान-बूझ कर मार दिए जाते हैं। इन सब बातों के कारण पुलिसवालों का नाम बदनाम हो जाता है। पुलिसवाले को यह समझना चाहिए कि वह आम आदमी का सेवक है। उसका कार्य लोगों का हित करना है।