Hindi, asked by Sneha7087, 9 months ago

'पुलिस समाज की रक्षा' इस बारे में अपना मत लिखिए
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Answered by jeevisiva4
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पुलिस हमारी रक्षक है अथवा हमारे समाज के सेवक, रक्षक तो कभी भक्षक के रूप में भी सामने आती हैं. आज का निबंध पुलिस समाज की रक्षक है पर छोटा बड़ा भाषण निबंध स्पीच अनुच्छेद यहाँ दिया गया हैं. चलिए समाज की रक्षक पुलिस का यह निबंध पढ़ते हैं.

जिस तरह हमारे देश की सेना सीमाओं पर तैनात कर देशवासियों की रक्षा करती है, उसी तरह देश की आंतरिक सुरक्षा का कार्य पुलिस करती हैं. समाज के रक्षक के रूप में पुलिस जानमाल की रक्षा तथा अपराध को समाप्त कर शांति स्थापना में अहम भूमिका अदा करती हैं.

समाज के सभी नागरिकों की सुरक्षा व भलाई के लिए पुलिस का गठन किया जाता हैं. यदि आज हमारी सभी संस्थाएं व्यवस्थित ढंग से चल रही हैं सारे कार्य कानून और नियमों के दायरे में हो रहे हैं. लोग कानून को तोड़ने की बजाय उनकी पालना कर रहे हैं तो केवल पुलिस के कारण ही सम्भव हो सका हैं.

निश्चय ही किसी देश अथवा राज्य में पुलिस के बिना कानून की कल्पना नहीं की जा सकती हैं. कोई भी समाज तभी तरक्की कर सकता है जब सभी ओर शान्ति का वातावरण हो तथा लोग संस्थाओं में विश्वास रखे. यही वजह है कि राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में पुलिस का अहम योगदान माना जाता हैं.

एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए चुनाव का समय सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता हैं. निष्पक्ष रूप से चुनाव तथा चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि अच्छी छवि के हो तभी वे समाज का भला कर सकेगे. भारत में चुनावी प्रक्रिया को सम्पन्न करवाने में पुलिस की बड़ी भूमिका हैं.

वह ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए पंचायत, नगर, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय चुनावों को आयोजित करवाती हैं. प्रत्येक वर्दी वाले पुलिस कर्मी पर समाज को गर्व होता हैं. वे समाज में हिंसा, अफरा तफरी तथा अपराध फैलाने वाले लोगों पर दबिश डालकर उन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर उन्हें दंडित करवाती हैं.

प्रत्येक पुलिस वाले की समाज के प्रति बड़ी भूमिकाएं होती हैं जिन्हें वह विविध रूपों में पूर्ण करने का प्रयत्न करता हैं. कभी देश के भीतर आतंकी हमलें से लोगों को बचाने में तो कभी नेताओं की रेलियो, यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने, हडताल, धरना, बंद, जुलुस की व्यवस्था, सार्वजनिक सम्पति की सुरक्षा, तस्करी रोकने तथा आम लोगों की शिकायत पर उनकी सुरक्षा करना पुलिस के प्रमुख दायित्व हैं.

कई बार पुलिसवाले अपनी ड्यूटी पर जान जोखिम में डालकर भी अपराधियों को पकड़ते हैं इस प्रयास में उन्हें शारीरिक क्षति या जान खोने का भी खतरा होता हैं. इन सबके बावजूद वे अपने कर्तव्य पथ से विचलित होने की बजाय उस पर डटे रहते हैं और हमारी हिफाजत करते हैं.

समाज के लोगों तथा समाज की सम्पति यथा रेलवे स्टेशन, स्कूल, खेल मैदान, उद्योग, पार्क सभी की सुरक्षा तैनाती पुलिस के कर्मचारी ही करते हैं. अपराधियों में पुलिस के साहस का भय होता है यदि पुलिस न हो तो समाज में अराजकता का माहौल बन जाएगा.

चारों हिंसा, लूटमार और मारामारी के हालात उत्पन्न हो जाएगे. यदि व्यापारी के माल की बिना पैसा दिए लूट हो जाएगी तो कोई भी व्यापार में आना नहीं चाहेगा. भारत के सभी राज्यों की अपनी अपनी पुलिस फ़ोर्स हैं जिसमें हवलदार से लेकर पुलिस महानिदेशक तक के अधिकारी होते हैं. देश की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिस हरवक्त तैयार रहती हैं. वह अपने सूत्रों तथा सर्च ओपरेशन के जरिये बड़े खतरों को पहले ही खत्म कर देती हैं.

एक आम आदमी के जीवन में पुलिस वाले की कई भूमिकाएं होती हैं. उसके साथ कोई लूटमार, माल की चोरी, जान लेने की धमकी की स्थिति में पुलिस ही उसकी मदद करती हैं. जब वह वाहन चलाता है तो परिवहन पुलिस उसकी मदद करती हैं. किसी के भीड़ में खो जाने अथवा दुर्घटना के बुरे वक्त में भी पुलिस साथी की भूमिका निभाती हैं.

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Answered by Anonymous
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पुलिस हमारी रक्षक है अथवा हमारे समाज के सेवक, रक्षक तो कभी भक्षक के रूप में भी सामने आती हैं. आज का निबंध पुलिस समाज की रक्षक है पर छोटा बड़ा भाषण निबंध स्पीच अनुच्छेद यहाँ दिया गया हैं. चलिए समाज की रक्षक पुलिस का यह निबंध पढ़ते हैं.जिस तरह हमारे देश की सेना सीमाओं पर तैनात कर देशवासियों की रक्षा करती है, उसी तरह देश की आंतरिक सुरक्षा का कार्य पुलिस करती हैं. समाज के रक्षक के रूप में पुलिस जानमाल की रक्षा तथा अपराध को समाप्त कर शांति स्थापना में अहम भूमिका अदा करती हैं.

समाज के सभी नागरिकों की सुरक्षा व भलाई के लिए पुलिस का गठन किया जाता हैं. यदि आज हमारी सभी संस्थाएं व्यवस्थित ढंग से चल रही हैं सारे कार्य कानून और नियमों के दायरे में हो रहे हैं. लोग कानून को तोड़ने की बजाय उनकी पालना कर रहे हैं तो केवल पुलिस के कारण ही सम्भव हो सका हैं.

निश्चय ही किसी देश अथवा राज्य में पुलिस के बिना कानून की कल्पना नहीं की जा सकती हैं. कोई भी समाज तभी तरक्की कर सकता है जब सभी ओर शान्ति का वातावरण हो तथा लोग संस्थाओं में विश्वास रखे. यही वजह है कि राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में पुलिस का अहम योगदान माना जाता हैं.

एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए चुनाव का समय सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता हैं. निष्पक्ष रूप से चुनाव तथा चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि अच्छी छवि के हो तभी वे समाज का भला कर सकेगे. भारत में चुनावी प्रक्रिया को सम्पन्न करवाने में पुलिस की बड़ी भूमिका हैं.

वह ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए पंचायत, नगर, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय चुनावों को आयोजित करवाती हैं. प्रत्येक वर्दी वाले पुलिस कर्मी पर समाज को गर्व होता हैं. वे समाज में हिंसा, अफरा तफरी तथा अपराध फैलाने वाले लोगों पर दबिश डालकर उन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर उन्हें दंडित करवाती हैं.प्रत्येक पुलिस वाले की समाज के प्रति बड़ी भूमिकाएं होती हैं जिन्हें वह विविध रूपों में पूर्ण करने का प्रयत्न करता हैं. कभी देश के भीतर आतंकी हमलें से लोगों को बचाने में तो कभी नेताओं की रेलियो, यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने, हडताल, धरना, बंद, जुलुस की व्यवस्था, सार्वजनिक सम्पति की सुरक्षा, तस्करी रोकने तथा आम लोगों की शिकायत पर उनकी सुरक्षा करना पुलिस के प्रमुख दायित्व हैं.

कई बार पुलिसवाले अपनी ड्यूटी पर जान जोखिम में डालकर भी अपराधियों को पकड़ते हैं इस प्रयास में उन्हें शारीरिक क्षति या जान खोने का भी खतरा होता हैं. इन सबके बावजूद वे अपने कर्तव्य पथ से विचलित होने की बजाय उस पर डटे रहते हैं और हमारी हिफाजत करते हैं.

समाज के लोगों तथा समाज की सम्पति यथा रेलवे स्टेशन, स्कूल, खेल मैदान, उद्योग, पार्क सभी की सुरक्षा तैनाती पुलिस के कर्मचारी ही करते हैं. अपराधियों में पुलिस के साहस का भय होता है यदि पुलिस न हो तो समाज में अराजकता का माहौल बन जाएगा.

चारों हिंसा, लूटमार और मारामारी के हालात उत्पन्न हो जाएगे. यदि व्यापारी के माल की बिना पैसा दिए लूट हो जाएगी तो कोई भी व्यापार में आना नहीं चाहेगा. भारत के सभी राज्यों की अपनी अपनी पुलिस फ़ोर्स हैं जिसमें हवलदार से लेकर पुलिस महानिदेशक तक के अधिकारी होते हैं. देश की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिस हरवक्त तैयार रहती हैं. वह अपने सूत्रों तथा सर्च ओपरेशन के जरिये बड़े खतरों को पहले ही खत्म कर देती हैं.एक आम आदमी के जीवन में पुलिस वाले की कई भूमिकाएं होती हैं. उसके साथ कोई लूटमार, माल की चोरी, जान लेने की धमकी की स्थिति में पुलिस ही उसकी मदद करती हैं. जब वह वाहन चलाता है तो परिवहन पुलिस उसकी मदद करती हैं. किसी के भीड़ में खो जाने अथवा दुर्घटना के बुरे वक्त में भी पुलिस साथी की भूमिका निभाती हैं.

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