Hindi, asked by Ayeshaikh, 1 year ago

पुलिस समाज का रक्षक पर निबंध या जानकारी दें..

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Answered by Anonymous
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पुलिस का कार्य बड़ा कठिन है। राजनेताओं की विभिन्न रैलियों के दौरान सुरक्षा और यातायात की व्यवस्था बनाये रखना, जलूसों को शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न करना, हड़ताल, धरनों और बंद के दौरान असामाजिक तत्वों से राष्ट्र की सम्पत्ति की रक्षा करना, राजनेताओं की व्यक्तिगत सुरक्षा करना, चोर डकैतों और लुटेरों से आम नागरिक की रक्षा करना पुलिस का दायित्व है। पुलिस कर्मचारी चौबीस घंटे खतरों से जूझते हैं। चोर डकैतों से मुठभेड़ के दौरान घायल हो जाते हैं। भीड़ के द्वारा पथराव की स्थिति में चोट खाते हैं। सर्दी, गर्मी, बरसात में ड्यूटी देनी पड़ती है। विभिन्न प्रकार के अपराधियों को पकडऩा और न्यायालय में प्रस्तुत करना पुलिस का कार्य है। 


पुलिस की भूमिका की समझ विभिन्न वर्गों, समूहों और सामाजिक स्तर के साथ बदल जाती है। विद्यार्थी, श्रमिक, पत्रकार, वकील, जन-प्रतिनिधि, प्रतिष्ठित व्यक्ति-सभी पुलिस से अपनी सोच के अनुरूप अपेक्षाएं रखते हैं। इसके परिणामस्वरूप पुलिस को अपनी भूमिका-निर्वाह में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 


देश में जहां कहीं भी अराजक स्थिति पैदा होती है, धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर एक वर्ग दूसरे वर्ग का शोषण करता है वहां देश की कानून व्यवस्था का उल्लंघन होता है। ऐसी स्थिति में सिपाहियों का कर्तव्य है कि वे तत्काल कानून व्यवस्था को बहाल करने में सहायता करें और कानून तोडऩे वालों को पकड़कर उन्हें दंडित करने में सहयोग करें। सिपाही का कर्तव्य है कि वह बिना भेद भाव के हर कर्तव्यनिष्ठ नागरिक की सहायता और सुरक्षा करे। पुलिस व्यवस्था को आज नई दिशा नई सोच और नए आयाम की आवश्यकता है। समय की मांग है कि, हमारी पुलिस नागरिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के प्रति जागरूक हो और समाज के सताए हुए तथा दबे कुचले लोगों के प्रति संवेदनशील बने। 



अन्य सरकारी कर्मचारियों की तुलना में पुलिस का कार्य विशेष महत्वपूर्ण होता है। समाज में कानून और व्यवस्था को बनाये रखना, सशक्त से अशक्त की रक्ष करना, उनका कानूनी ही नहीं नैतिक दायित्व भी है पर कानून और वयवस्था के नाम पर कभी-कभी कुछ कर्मचारी रक्षक के स्थान पर भक्षक बन जाते हैं। इससे पुलिस की छवि खराब होती है। अधिकारों की आड़ लेकर किसी को सताना, अपराध स्वीकार कराने के नाम पर अभियुक्त को पीट-पीटकर मार डालने के समाचार संभ्रात नागरिकों में भय व्याप्त करते हैं। इससे लोगों में पुलिस के प्रति अविश्वास उत्पन्न होता है। 


पुलिस के सिपाहियों का कर्तव्य है कि वे देश की आन्तरिक सुरक्षा कायम करने में देश के विधि विधानों के अनुरूप कार्य करें। देश का साधारण नागरिक चोर, डाकू और अन्य समाज विरोधी तत्वों से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पुलिस पर ही निर्भर रहता है। अत: देश के नागरिकों को ऐसा वातावरण मुहैया कराना जिससे वे भय मुक्त होकर सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें- पुलिस का कर्तव्य है। 


स्वतंत्रता के बाद यह आशा की गई थी कि पुलिस व्यवस्था और पुलिस कार्य प्रणाली में प्रजातांत्रिक मूल्यों के अनुरूप गुणात्मक परिवर्तन आएगा। यह उम्मीद भी की गई थी कि पुलिस अपना दमनात्मक और राज्य के सबल बाहु का स्वरूप त्यागकर जनता की पुलिस बन जाएगी और दमन का सिद्धांत छोड़कर जनहित की अवधारणा से प्रेरित होकर कार्य करने लगेगी किंतु ऐसा नहीं हुआ। स्वतंत्रता के पहले पुलिस और विदेशी शासकों का जो संबंध था, वही कायम रखा गया। केवल इस अंतर के साथ कि विदेशी शासकों के स्थान पर सत्ताधारी राजनीतिक दल आ गए। पुरानी पुलिस को पुनर्गठित करके एक नई दिशा और नया दृष्टिकोण दिया जाना चहिए था। इसके लिए पुुलिस की भूमिका को पुनर्परिभाषित किया जाना चाहिए था, किंतु पुलिस प्रशासन को पुलिस अधिनियम १८६१, जो ब्रिटिश शासकों द्वारा अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया गया था, के अनुसार ही चलने दिया जा रहा है। 


आम व्यक्ति को तेा अपने लिए ब्रिटिश काल की पुलिस और आज की पुलिस में कोई अंतर नहीं दिखाई देता। 


पुलिस का दायित्व केवल विधि का शासन लागू करना है किसी को ठीक करना या सबक सिखाना नहीं। ठीक करने या सबक सिखाने के उद्देश्य से कार्रवाई करने पर पुलिस की साख समाप्त हो जाती है, उसमें अमानवीयता बढ़ती है। परिणामस्वरूप जन-विश्वास समाप्त हो जाता है। 


पुलिस को विधि का शासन लागू करने के लिए केवल वैधानिक तरीकों का उपयोग करना चाहिए। 

पुलिस को शांति-व्यवस्था का कार्य सौंपकर समाज ने उसे एक पुनीत कर्तव्य सौंपा है। और इस कर्तव्य का निर्वहन पवित्र भावना से करना आवश्यक है। विधि को लागू करनेवाले उसे तोडऩे वाले नहीं हो सकते, क्योंकि यदि नमक अपना स्वाद खो देगा तो उसका वह गुण कहां मिलेगा?

पुलिस के सिपाही का ईमानदार होना आवश्यक है। भ्रष्ट सिपाही कभी भी अपने कर्तव्यों का पालन नही करता। सिपाही को किसी के बहकावे में आए बिना देश की आन्तरिक सुरक्षा का दायित्व निभाना चाहिए।


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