प्लास्टिक एक अनचाही ज़रूरत निबंध 200 शब्द
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प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण में भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरे के इकठ्ठे हो जाने से उत्पन्न होता है। प्लास्टिक एक नान बायो-डिग्रेडबल पदार्थ है, यह पानी या मिट्टी में विघटित नही होता है और इसे जलाने पर इसका प्रभाव और भी ज्यादे हानिकारक हो जाता है। यह वातावरण में सैकड़ो सालो तक उपस्थित रहता है, जिससे यह वायु, जल और भूमि प्रदूषण उत्पन्न करता है। इसके साथ ही मनुष्य, जीव-जन्तुओ और पेड़-पौधो के लिये भी बहुत हानिकारक है, प्लास्टिक प्रदूषण चलते प्रति वर्ष कई जीव-जन्तुओ और समुद्री जीवो की मृत्यु हो जाती है।
प्लास्टिक के प्लेट, बैग, चम्मच,चश्मे और अन्य कई चीजे बाजारो में आसानी से उपलब्ध है। ये सभी वस्तुएं काफी किफायती और इस्तेमाल करने में काफी आसान होती है, जिससे लोग बाद में होने वाली साफ-सफाई के झंझटो से बचने के लिये कार्यक्रमो और उत्सवो में इनका इस्तेमाल करके फेंक देते है। बस इसके लिये अंत में लोगो को इसे इकठ्ठा करके फेंकना होता है। हालांकि वह यह भूल जाते है कि यह कचरा इतनी आसानी से खत्म नही होगा और वातावरण में वर्षो तक रहकर इसे नुकसान पहुंचाता रहेगा।
इस प्रदूषण के लिये सिर्फ प्लास्टिक बैग और फर्नीचर ही जिम्मेदार नही है, बल्कि की पूरे विश्व में अन्य कई प्लास्टिक से बनने वाले चीजे भी इसके लिये उतने ही जिम्मेदार है। यह वह समय है जब हमें प्लास्टिक प्रदूषण के हानिकारक प्रभावो को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है और इसे रोकने में अपना बहुमूल्य योगदान देने की आवश्यकता है।
प्लास्टिक एक अनचाही जरूरत
प्लास्टिक आज के समय का एक सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाला पदार्थ है। यह आज हमारे लिए एक अनचाही जरूरत बन गया एक ऐसी जरूरत बन गया है जिसे हम ना चाह कर भी उपयोग में लाते हैं हम इसके दुष्परिणामों को जानते हैं पर इसके सुविधाजनक स्वरूप की वजह से हम इसको अपने दैनिक जीवन में प्रयोग में लाते हैं। यह आज हमारे जीवन की आवश्यकता बन गया है। हमारे जीवन में इस कदर समाहित हो चुका है कि हमारे दैनिक कार्यों से जुड़े सारे क्रियाकलापों वाली वस्तुओं में प्लास्टिक की भूमिका होती है। मोबाइल, टीवी, फ्रिज, एसी, कुर्सी, मेज, कम्प्यूटर आदि कितनी अनगिनत चीजें हैं जो प्लास्टिक से ही बनी होती हैं।
प्लास्टिक एक सस्ता पदार्थ है और यह सुविधाजनक है इस कारण इसकी लोकप्रियता बढ़ी। लेकिन यह एक ऐसा पदार्थ है जो विघटित नहीं होता है अर्थात यह जल्दी नष्ट नहीं हो पाता है और इसके नष्ट होने में कई सैकड़ों वर्ष लगते हैं। यह पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है, और यह अनेक बीमारी फैलाने का कारण भी है।
प्लास्टिक को बनाने में कई तरह के रसायनों का इस्तेमाल होता है जो जहरीले होते हैं जब हम प्लास्टिक को उपयोग करने के बाद उसे फेंक देते हैं तो वह प्लास्टिक पानी, जमीन, हवा आदि से मिलकर अपने जहरीले रसायनों को उनमें मिला देता है। इसके कारण मिट्टी, जल, वायु आदि सब दूषित हो जाते हैं।
समय की मांग की है कि हमें प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करना चाहिए और धीरे-धीरे बिल्कुल ही बंद करने देना चाहिए। भले ही प्लास्टिक एक सस्ता पदार्थ हो। लेकिन यह हमारे जीवन के लिए बहुत महंगा पड़ता जा रहा है। ये हमारे पर्यावरण के लिए बहुत महंगा पड़ता जा रहा है। हमे पॉलीथिन की थैलियों का उपयोग बिल्कुल बंद कर दें और जूट और कपड़े के थैलों का उपयोग करें। एक स्वस्थ पर्यावरण की कीमत पर हमें प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना है ऐसा हमें संकल्प लेना होगा।
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