प्लास्टिक के पर्यावरण पर दुष्प्रभाव
को कम करने के पांच
उपाय लिखिए
Answers
Answer:
प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण प्रदुषण - Plastic Bag
पर्यावरण विज्ञानियों ने प्लास्टिक के 20 माइक्रोन या इनसे पतले उत्पाद को पर्यावरण के लिए बहुत घातक बताया है। ये थैलियां मिट्टी में दबने से फसलों के लिए उपयोगी कीटाणुओं को मार देती है। इन थैलियों के प्लास्टिक में polyvinyl chloride होता है जो मिट्टी में दबे रहने पर भूजल को जहरीला बना देता है।
बरसात में प्लास्टिक के कचरे से दुर्गन्ध आती है, नदी-नाले अवरुद्ध होने से बाढ़ की स्तिथि आ जाती है। हवा में प्रदुषण फैलने से अनेक असाध्य रोग फ़ैल जाते है, कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। प्लास्टिक कचरा खाने से गाय आदि पशुओं की अकाल मौत हो जाती हैं इस तरह से प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण को हानि पहुंचती हैं।
प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध
प्लास्टिक थैलियों के उत्पादकताओं को कुछ फायदा हो रहा हो और उपभोक्ताओं को भी सामान ले जाने में सुविधा मिल रही हो लेकिन यह क्षणिक लाभ पर्यावरण को दीर्घकालीन नुकसान पहुंचा रहा है।
कुछ लोग 20 माइक्रोन से पतले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की वकालत कर उसमें अधिक मोटे प्लास्टिक को रिसाइक्लड करने का समर्थन करते है लेकिन वह रिसाइक्लड प्लास्टिक भी एलर्जी, त्वचा रोग एवं पैकिंग किये गये खाद्य पधार्थों को दूषित करता है।
इसलिए हर तरह की plastic bags पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। राजस्थान सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है जो की पर्यावरण की नजर से उचित और स्वागत-योग्य कदम हैं।
प्लास्टिक थैलियों का उपयोग पर्यावरण की नजर से सर्वथा घातक है। यह असाध्य रोगों को बढ़ाता है। इससे अनेक नुकसान होने से इसे पर्यावरण का दुश्मन भी कहा जाता है।
प्लास्टिक उद्योगों को भले ही क्षणिक फायदा होता हो लेकिन इनका असर अनेक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है इसलिए प्लास्टिक थैलियों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाना जनहित में जरुरी हैं।
पर्यावरण प्रदुषण के खतरे
प्रदुषण तीन प्रकार का होता है - वायु प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण और जल प्रदुषण। वायु प्रदुषण धुएं के द्वारा होता। मीलों कारखानों और वाहनों द्वारा छोड़े गये धुएं से वायु-प्रदुषण होता है। हम प्रदूषित वायु में सांस लेते है उसके परिणामस्वरूप ही फेफड़ों की बीमारियां, सिर-दर्द और अन्य बीमारियां हो जाती हैं।
अपशिष्ट पदार्थ और कूड़ा-कचरा नदियों में फेंक दिया जाता है इससे जल प्रदूषित हो जाता है। हानिप्रद कीटाणु उत्पन्न हो जाते है। हम प्रदूषित जल पीते हैं और अनेक बिमारियों हो जाती हैं।
मशीनों और वाहनों, जैसे - मोटरकार, बस व ट्रको का शोर वातावरण में मिल जाता है। इसे ध्वनि प्रदूषण कहते है। यह भी खतरनाक है। यह हमारे कानों और दिमाग पर प्रभाव डालता है। मनुष्य बहरा हो जाता है मतलब कम सुनने वाला हो सकता हैं।
प्रदूषण की समस्या, एक गंभीर समस्या है। प्रदूषित वातावरण स्वास्थ्य के लिए खतरा है। हमें इसे रोकना चाहिए अन्यथा हम जिन्दा नहीं रह पाएंगे। हमें nature का सम्मान करना चाहिए। योजनाबद्ध औद्योगीकरण होना चाहिए। हमें अधिक से अधिक पेड़ उगाने चाहिए।
इनमें जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण प्लास्टिक थैलियों की वजह से हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक कचरे को नाले में पटकने से पानी प्रदूषित होता है और plastic bags को जलाने पर इससे निकले विषैले धुएं से वायु प्रदूषित हो रही हैं जिससे अनेक बीमारी जन्म ले रही हैं।
Plastic Bag, पॉलीथिन के दुष्प्रभाव
बाजार जाना है जैसे ही हमारे कानों में आवाज पड़ती है हम उठकर खड़े हो जाते है। पैसे जेब हो तो थैला लेकर जाने की कोई झंझट ही नहीं। यह झंझट तो पहले थी जब प्लास्टिक थैली का इतना प्रचलन नहीं था। बाजार पहुंचिए। खरीदना है तो खरीद लें। दुकानदार खरीदी हुई चीज को plastic bag में रखकर दे देगा।
Explanation: