प्लास्टिक की थैलियों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाए जाने पर भी उनका प्रयोग हो रहा है। इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने क्षेत्र के पर्यावरण निदेशालय के संयुक्त सचिव को सुझावात्मक पत्र लिखिए।
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Explanation:
यह बहुत गलत बात है कि लोग आज भी प्लास्टिक का उपयोग करते हैं क्योंकि प्लास्टिक को तो बैन कर दिया गया है अगर प्लास्टिक कोई इस्तेमाल कर भी रहे तो उसको डीकंपोज कर देना चाहिए क्योंकि अगर प्लास्टिक ऐसे ही कहीं फेंक देंगे तो उसको जानवर या फिर गाय खा लेंगे और उनसे उनका खराबी करेगा उसके पेट के अंदर केमिकल आजा करो मर जाएंगे
राज्य सरकार द्वारा पॉलिथीन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी नगर में खुले आम इसका उपयोग किया जा रहा है। कार्रवाई नहीं होने से इसका धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। पॉलीथीन नालियाें को जाम भी कर रहा है। वहीं पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है।
जनवरी 2015 में राज्य सरकार ने छग को प्लास्टिक मुक्त घोषित करते हुए पूरे प्रदेश में पॉलीथीन के उपयोग पर बैन लगाया है। साथ ही सभी जिले के कलेक्टरों को दुकानों में इसका उपयोग करने पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। नगरीय निकायों में सीएमओ तथा एसडीओ को कार्रवाई का अधिकार दिया गया है। इस आदेश के बाद कुछ दिनों तक तो इस पर अमल हुआ। नगर में भी सीएमओ द्वारा प्रतिबंधित पॉलिथीन का प्रयोग करने पर कार्रवाई करते हुए जब्ती की कार्रवाई की गई। समय के साथ कार्रवाई भी थम गई है और फिर से प्रतिबंधित पॉलिथीन का उपयोग बढ़ने लगा है। शहर में सभी दुकानदारों द्वारा पॉलिथीन का प्रयोग किया जा रहा है। बीच-बीच में नगर पालिका के द्वारा प्लास्टिक थैलियों का दुकान दुकान जाकर प्लास्टिक थैलियों की जब्ती बनाई जा रही थी। लेकिन नगर पालिका भी अपनी आंखें बंद कर ली है। प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग गंभीर रूप से हानिकारक है, गटर नालियों को भी ये अवरूद्ध करते हैं।
इसके फलस्वरूप गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न होती है । सड़क के किनारे लगे ठेले व दुकानों में दुकानदार प्लास्टिक की थैलियों में समान डालकर बेधड़क बेच रहे है ।
जानवरों के लिए है नुकसान दायक
प्लास्टिक थैली का उपयोग करने के बाद रद्दी थैली को कचरे में डाल दिया जाता है। जिसे जानवर खाते हैं तो, कोई प्लास्टिक थैली को जलाता है तो उसके बदबू से भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इससे बचने के लिए कागज एवं कपड़े के थैले तथा जूट से बना हुआ बैग आदि का उपयोग करना चाहिए जिससे पर्यावरण में होने वाले नुकसान से बचाया जा सके ।