Environmental Sciences, asked by rawatk2907, 4 months ago

"प्लास्टिक कचरा शहरी जीवन शैली का एक उप-उत्पाद है और इसे एक आवश्यक बुराई माना
जाता है। इस कथन पर अपने आलोचनात्मक विचार प्रदान करें, शहरी जीवनशैली की वृद्धि में
प्लास्टिक की उपयोगिता पर ध्यान केंद्रित करें और 1000 शब्दों में पर्यावरण (मानव सहित) पर
प्लास्टिक कचरे के प्रभाव बताएं।​

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Answered by AbhilabhChinchane
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Answer:

डॉ. मोनिका शर्मा। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे से सात सौ मीटर की सड़क बनाने का प्रयोग किया गया है। इस परियोजना की कामयाबी के बाद राज्य सरकार का इरादा बड़े पैमाने पर प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाने का है। इससे बड़ी मात्र में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल होने की राह खुल सकती है। यह पहल यही संदेश लिए है कि उचित इस्तेमाल से प्लास्टिक कचरे की गंभीर होती समस्या को काबू में किया जा सकता है।मौजूदा समय में पूरी दुनिया में पर्यावरण, समुद्री जीवन, नदियों और यहां तक कि इंसानी स्वास्थ्य के लिए भी जोखिम बने प्लास्टिक के पांचवें हिस्से से भी कम को रिसाइकिल किया जाता है। नतीजतन महानगरों में ही नहीं छोटे शहरों और कस्बों में भी प्लास्टिक कचरे के ढेर बढ़ते ही जा रहे हैं।

अनुमान है कि दुनिया भर में प्रतिवर्ष करीब 500 अरब प्लास्टिक की थैलियां काम में ली जाती हैं। हर मिनट पेयजल की 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जाती हैं। महासागरों में हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक का कचरा पहुंच रहा है। इसमें 50 प्रतिशत प्लास्टिक सिंगल यूज वाला है। जिसके कारण करीब 11 लाख समुद्री जीवों की हर साल मौत हो जाती है। अध्ययन बताते हैं कि 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा। यही वजह है कि जीवन से जुड़े हर पहलू पर दुष्प्रभाव डाल रहे प्लास्टिक कूड़े का उचित निस्तारण जरूरी है।परंपरागत रहन सहन वाले हमारे देश में भी जीवनशैली में आए बदलावों ने प्लास्टिक के इस्तेमाल में इजाफा किया है। सामाजिक-पारिवारिक आयोजनों से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों तक के लिए भी प्लास्टिक की वस्तुओं का इस्तेमाल बढ़ा है। साथ ही हद दर्जे की दिखावटी-बनावटी व्यावसायिक संस्कृति ने भी सामानों की पैकेजिंग से लेकर डिलीवरी तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ाया है। यही वजह है कि नदी-नालों से लेकर गली-मुहल्ले तक प्लास्टिक कचरे से अट गए हैं।

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