पॉलिथीन समस्या एवं समाधान पर निबंध बता दो कोई please
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1. सबसे पहले पॉलीथिन को एकत्र करके साफ कर लिया जाये अर्थात् उसमें से कंकड़, मिट्टी, तरल पदार्थ आदि को निकालकर फेंक दिया जाये और आवश्यक होने पर सुखा लिया जाये। पॉलीथिन को साफ करने के लिए एक ऐसी मशीन बनायी जा सकती है, जिसमें से पॉलीथिन को इस तरह डाला जाये, जैसे चारा काटने की मशीन में चारा डाला जाता है। वह मशीन या तो पॉलीथिन के टुकड़े कर सकती है या उसमें छेद करके और झटकारकर उसमें से धूल-मिट्टी निकाल सकती है।
2. साफ की हुई पॉलीथिन को एक ऐसी मशीन में डाला जाये, जो उसको दबाकर 8 मिलीमीटर मोटी चद्दर जैसी बना दे। उस चद्दर के ऊपर, नीचे और किनारों पर केवल 1 मिलीमीटर मोटी अच्छी प्लास्टिक की पर्त लगायी जाये। इससे एक ऐसी चादर या शीट बन जायेगी, जो एक सेंटीमीटर मोटी होगी और जिसमें सब ओर 1 मिलीमीटर मोटी प्लास्टिक की पर्त होगी तथा अन्दर पॉलीथिन भरी होगी।
3. इसे एक मानक आकार जैसे 1 बाई 1.5 फुट या 2 बाई 3 फुट में बनाया जा सकता है, जिसमें जोड़ लगाने के लिए निर्धारित स्थानों पर चूड़ियों वाले छेद किये जा सकते हैं।
इस तरह की शीटों का उपयोग लकड़ी के तख्तों की जगह कई कामों में किया जा सकता है, जैसे केबिन बनाना, पार्टीशन बनाना, फोल्डिंग दुकान या झोंपड़ी बनाना आदि। ये शीटें न केवल मजबूत और हल्की होंगी, बल्कि सस्ती भी पड़ेंगी। इन शीटों को प्लास्टिक की पत्तियों द्वारा जोड़ा जा सकता है। कोनों पर लगाने के लिए समकोण पर मुड़ी हुई शीटें भी बनायी जा सकती हैं। पॉलीथिन बीनने वाले बच्चों को तौल के हिसाब से भुगतान किया जा सकता है। पॉलीथिन साफ होने पर अधिक पैसे दिये जा सकते हैं। पेड़ों की कटाई कम होने से पर्यावरण भी सुधरेगा और नालियों का जाम होना और पशुओं की अकाल मृत्यु से भी बचा जा सकेगा।