पुलक प्रकट करती है धरती
हरित तृणों की नोकों से।
मानो झूम रहे हैं तरु भी
मंद पवन के झोंकों से।
questions - उपरोक्त काव्यपंक्तियों में पर्यायवाची शब्दों का उपयोग करके होनेवाले परिवर्तन के साथ काव्य पंक्तियाँ फिर से लिखिए।
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रोमांच प्रकट करती है वसुंधरा
हरित तृणो की नोको से |
मानो झूम रहे है वृक्ष भी
मंद हवा की झोको से |
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