पालतू जानवर पर कहानी
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मुझे हमेशा से बिल्लियों का बहुत शौक रहा है। मैंने अक्सर हमारे घर में आने वाली बिल्लियों को आकर्षित करने के लिए अपने घर पिछवाड़े में दूध का एक कटोरा रखा था। कुछ बिल्लियाँ और बिल्ली के छोटे बच्चे हर दिन हमारे घर आते थे। मैंने उन्हें रोटी और चपाती भी खिलाई। अक्सर वे हमारे पिछवाड़े में रखी कुर्सी के नीचे सोते थे। मैं लावारिस बिल्लियों को भोजन देने के लिए पशु आश्रय भी जाता था। इन मैत्रीपूर्ण प्राणियों के प्रति मेरे झुकाव को देखते हुए मेरी मां ने एक बिल्ली को घर लाने का फैसला किया।
अपने 7वें जन्मदिन पर मेरी मां मुझे सुबह-सुबह एक पशु आश्रय में ले गई और मुझे यह बताकर आश्चर्यचकित कर दिया कि मैं किसी भी एक बिल्ली को अपना सकता हूं। मेरा दिल एक भूरे रंग की धब्बेदार बिल्ली को देखकर पिघल गया और एक कोने में शांतिपूर्वक सो रही थी और फिर मैं उसे घर ले आया। उस दिन इसाबेला हमारे जीवन में आई।
मैं न केवल इसाबेला के साथ खेलता हूं बल्कि उसकी सफाई का भी ध्यान रखता हूं। हम हर 15 दिनों में उसे नहलाते हैं। इसाबेला को मछली खाने का काफ़ी शौक है और हम इसे कई बार खिलाते भी हैं। उसकी उपस्थिति से हमें अपना जीवन बहुत बेहतर लगता है।
पालतू जानवर पर कहानी |
Explanation:
एक गांव में एक ग्वाले के पास एक गाय थी। यह गाय जब जवान थी तब ग्वाले को बहुत दूध देती थी। गाय से दूध पाकर ग्वाला भी बहुत खुश रहता था। वह भी बहुत लाड प्यार से गाय की सेवा करता था।
एक दिन ऐसा आया जब उस गाय को अचानक एक दौरा पड़ गया। ग्वाला गाय को लेकर गौचिकित्सल्य में गया। वहां डॉक्टर ने गाय की जांच की और पाया की गाय ने कई सारी पॉलिथीन खाली है। प्लास्टिक की पॉलीथिन खाने के कारण गाय की आंत्रियां खराब हो गई है।
जब ग्वाले को यह पता चला कि अब उसकी गाय को नहीं बचाया जा सकता है वह बहुत दुखी हुआ। साथ ही उसने अपनी गाय के निधन के साथ एक प्रण ले लिया कि वह अपने गांव में किसी भी व्यक्ति को खुले में पॉलिथीन आदि साथ में नहीं देगा।
तब से उस ग्वाले का गांव बहुत साफ और सुंदर दिखने लगा।
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