Hindi, asked by rudralendhe, 1 month ago

पालतु कुत्ते की आत्मकहानी हिंदी​

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Answered by vedikagole36
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Answer:

मैं इस पृथ्वी के अनेक जानवरो में से एक हूं लेकिन औरो से काफी भिन्न क्योंकि जो भगवान से शक्ति मुझे मिली है वह औरो को नहीं। मैं अपनी सूंघने की शक्ति से कोई भी वस्तु चुटकी में ढूंढ सकता हूं लेकिन मैं ये शक्तियां सिर्फ अपने मालिक के लिए उपयोग करता हूं।

इसी वजह से लोग कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और सजगता आदि शब्द उपयोग करके मेरी मिशाल देते हैं। इन्ही मिशाल की वजह से मैं धरती का सबसे ज्यादा जिम्मेदार जानवर हूँ।

मैं एक ऐसा जानवर जिस पर मेरा मालिक आँख बंद करके भरोसा करता है। कई बार अपने जीवन भर की कमाई अपने खून के रिश्ते वाले व्यक्ति को न देकर मेरे भरोशे छोड़ जाते हैं उस भरोसे का मैं सम्मान करता हूँ और अपनी जान से ज्यादा अपने मालिक के भरोसे की लाज रखता हूँ। कई आते है मुझे कुछ खिला कर प्रसन्न करने वाले लेकिन मैं अपने मालिक की हर आज्ञा का पालन बिना किसी लोभ लालच के पूरा करता हूँ। मेरे मालिक गरीब व्यक्ति भी होता है और अमीर व्यक्ति भी । सभी के प्रति वफादार हूँ।

Explanation:

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Answered by moviesshinchan9
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मैं इस धरती का ऐसा जीव हूं जो समस्त दुनिया में विभिन्न प्रजातियों में पाया जाता है । इस धरती के सर्वाधिक वफादार प्राणियों में से मैं एक हूं । जब भी कर्तव्यनिष्ठा, सजगता, ईमानदारी व स्वामीभक्ति की मिसाल दी जाती है, तब मुझे ने ही याद किया जाता है ।

इस बात का मुझे बड़ा गर्व है । मैं एक ऐसा पालतू जानवर हूं, जिसे लोग अपने घरों में रखना पसंद करते हैं । अपने घर की सुरक्षा का समस्त भार मुझ पर डालकर वे बड़ी निश्चिन्तता के साथ अपने काम पर निकल जाते हैं; क्योंकि मैं हमेशा चौकन्ना रहता हूं ।

जरा-सी आहट पाकर मेरे कान खड़े हो जाते हैं । मेरे इस रूप को देखकर बुरी व नीच प्रवृत्ति रखने वाले भाग खड़े होते हैं । वैसे मैं लोगों की शक्ल तथा व्यवहार देखकर उनकी सज्जनता का गुणा-भाग कर लेता हूं । मेरी घ्राणशक्ति इतनी तेज होती है कि मैं एक बार में उनकी गन्ध को स्मरण रखकर किसी को भी पहचान जाता हूं

मेरी महत्ता व विशेषताएं जानकर ही पुलिस विभाग हमें अपने साथ रखता है । चोरों से लेकर नशीली वस्तुओं का कारोबार करने वालों की धर-पकड़ में मेरा ही सहयोग लेता है । जो काम मनुष्य के बस के बाहर रकख्सा होता। है, वह मैं कर लेता हूं ।

मैं अपने मालिक के प्रति हमेशा वफादार एक बार जिसने मुझे खिला दिया, उसके प्रति वृातइाता ज्ञापित करना मैं नहीं भूलता हूं । पूंछ हिलाना इसी का रूप है । मैं हमेशा अपने मालिक का आज्ञाकारी सेवक बना रहना चाहता हूं ।

अत: जो मिले, जैसा मिले, उसी को खाकर सन्तुष्ट रहता हूं । कुछ मालिक मुझे सम्मानपूर्वक अच्छा भोजन देते हैं, तो कुछ असम्मानजनक व्यवहार के साथ । मैं इसे भी अपने मालिक की आइघ मानकर स्वीकार कर लेता हूं ।

विदेशों में मुझे बेहद प्यार और सम्मान के साथ देखा जाता है । वहां के मालिक मेरी प्रत्येक सुख-सुविधा का ख्याल रखते हैं । मैं भी विदेशों में खेतों, पशुपालन, घर के अन्य कामों तथा अपने मालिक के स्वास्थ्य का ध्यान रखता हूं ।

मैं बड़े सरल हृदय वाला प्राणी हूं । किसी के प्रति तनिक भी राग-द्वेष नहीं रखता । मुझे विवश किया जाता है, तो मैं अपना उग्र रूप दिखाता हूं । मैं तो हमेशा से मानव-जाति का मित्र तथा हितैषी बना रहना चाहता हूं ।

अपने पिल्लों को भी हमेशा से मैं यही सीख देता आया हूं कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने मालिक के साथीदार बने रहें । यद्यपि मेरा जीवनकाल लम्बा नहीं होता, तथापि मैं अपने इस जीवनकाल में अपने मालिक का हित ही चाहूंगा ।

भारत जैसे देश में मेरा महत्त्व पौराणिक आख्यानों में मिलता है । मैं वहां सम्मान और उपेक्षा दोनों ही पाता हूं । मुझे अपने अपमान व उपेक्षा पर दु:ख अवश्य होता है, किन्तु मैं उसे भूल जाता हूं । हमें संस्कार ही कुछ ऐसे मिले हैं । अपने गुणों-त्याग, सहनशीलता, स्वामीभक्ति, नम्रता को मैं कभी नहीं छोड़ सकता । मेरी पहचान मेरे इन्हीं गुणों से है ।

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