पालतू पशु पर निबंध(150-200words)
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पालतू पशु पर निबंध
मानव आदि काल से कुछ पशुओं को पालता आ रहा है । जिन पशुओं को वह पालता है उसे पालतू पशु कहा जाता है । पालतू पशु हमारे लिए श्रम करते हैं । वे हमें भोजन एवं जीवन-यापन की अन्य सामग्रियाँ प्रदान करते हैं । वे जन-समुदाय के लिए अनेक प्रकार से उपयोगी होते हैं ।
पालतू पशुओं में गाय, बैल, भैंस,बकरी, घोड़ा, ऊँट, खच्चर, गदहा, भेड़, याक, कुत्ता आदि का प्रमुख स्थान है । गाय, भैंस, बकरी और ऊँटनी से पौष्टिक दूध प्राप्त होता है । इन पशुओं को मुख्यत : दूध के लिए पाला जाता है । दूध से दही, घी, मक्खन, खोया, पनीर, लस्सी, आईसक्रीम आदि भांति- भांति के पदार्थ निर्मित होते हैं । संपूर्ण डेयरी उद्योग का आधार दूध ही है जो दुधमुँहे बच्चों से लेकर वृद्धों तक के लिए समान रूप से उपयोगी है ।
बैल, घोड़ा, ऊँट, भैंसा, गदहा, खच्चर आदि दूसरे श्रेणी व पालतू पशु हैं । ये सभी भारवाही पशु हैं अर्थात् इस पर भार या वजन लादा जा सकता है । बैल भारतीय कृषि व्यवस्था के आधार रहे हैं क्योंकि ये कृषि कार्य में बहुत उपयोगी होते हैं । ये हल खींचते हैं बैलगाड़ी खींचते हैं तथा इक्के में जोते जाते हैं । घोड़े पर सवारी करते हैं और यह ताँगा व रथ खींचता हें । ऊँट रेगिस्तानी प्रदेशों की एकमात्र उपयोगी सवारी है । गदहा और खच्चर वजन उठाकर राहगीरों,व्यापारियों और धोबियों के दुन मदद करता है । भैंसे भी हल खींचते हैं और गाडी में जोते जाते हैं ।
ऊँट, भेड़, याक जैसे पशुओं की एक महत्त्वपूर्ण उपयोगिता यह है कि इनसे हमें मूल्यवान ऊन प्राप्त होता है । ऊन से निर्मित ऊनी वस्त्र सर्दियों में वरदान सिद्ध होते हैं । ऊन के अतिरिक्त बहुत से पालतू पशुओं के मृत शरीर से चमड़ा प्राप्त होता है जो जैकेट, लैदर बैग, पर्स, बैल्ट ,जूते-चप्पल, सूटकेस आदि बनाने के काम आता है । इस प्रकार डेयरी उद्योग, ऊनी वस्त्र उद्योग एवं चमड़ा उद्योग वस्तुत : पालतू पशुओं पर ही आधारित होता है ।
गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि पशुओं की एक महत्त्वपूर्ण उपयोगिता यह भी है कि इनसे हमें गोबर प्राप्त होता है । गोबर थोड़े ही समय बाद खाद का रूप ले लेता है जो मिट्टी को उपजाऊ बनाता है । गोबर से ग्रामीण अपने घर- गिन को लीपते हैं । कुछ लोग इन्हें सुखाकर इससे उपले बनाते हैं । ये उपले ईधन का कार्य करते हैं । आजकल गोबर को गोबर गैस प्लांट में डाला जाता है जिससे भारी मात्रा में मिथेन गैस निकलती है । यह गैस घरों में रोशनी करने व खाना पकाने के काम आती है । बाद में गोबर खाद के रूप में प्रयुक्त होता है जिससे कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है ।
पालतू पशुओं में कुत्ता भी अति महत्त्वपूर्ण है । यह घर की चौकीदारी करता है तथा मालिक के प्रति वफादारी प्रदर्शित करता है । कुछ लोग कुत्ते पालना पारिवारिक शान का प्रतीक मानते हैं इसलिए कुत्ते शौक से पाले जाते हैं ।
संसार के विभिन्न भागों में कुछ पालतू पशुओं को मांस के लिए पाला जाता है । चूकि मांस को एक पौष्टिक आहार माना जाता है इसलिए बकरा, ऊँट आदि जंतुओं को मारकर इनसे मांस प्राप्त किया जाता है । विभिन्न धर्मों के लोग पशुओं की कुर्बानी या बलि भी देते हैं । यही कारण है कि मांस देनेवाले पशु बड़ी संख्या में पाले जाते हैं । संसार के विभिन्न भागों में मांस के लिए अलग- अलग प्रकार के पशुओं को पाला जाता है ।
Answer:
मानव आदि काल से कुछ पशुओं को पालता आ रहा है । जिन पशुओं को वह पालता है उसे पालतू पशु कहा जाता है । पालतू पशु हमारे लिए श्रम करते हैं । वे हमें भोजन एवं जीवन-यापन की अन्य सामग्रियाँ प्रदान करते हैं । वे जन-समुदाय के लिए अनेक प्रकार से उपयोगी होते हैं ।
पालतू पशुओं में गाय, बैल, भैंस,बकरी, घोड़ा, ऊँट, खच्चर, गदहा, भेड़, याक, कुत्ता आदि का प्रमुख स्थान है । गाय, भैंस, बकरी और ऊँटनी से पौष्टिक दूध प्राप्त होता है । इन पशुओं को मुख्यत : दूध के लिए पाला जाता है । दूध से दही, घी, मक्खन, खोया, पनीर, लस्सी, आईसक्रीम आदि भांति- भांति के पदार्थ निर्मित होते हैं । संपूर्ण डेयरी उद्योग का आधार दूध ही है जो दुधमुँहे बच्चों से लेकर वृद्धों तक के लिए समान रूप से उपयोगी है ।
बैल, घोड़ा, ऊँट, भैंसा, गदहा, खच्चर आदि दूसरे श्रेणी व पालतू पशु हैं । ये सभी भारवाही पशु हैं अर्थात् इस पर भार या वजन लादा जा सकता है । बैल भारतीय कृषि व्यवस्था के आधार रहे हैं क्योंकि ये कृषि कार्य में बहुत उपयोगी होते हैं । ये हल खींचते हैं बैलगाड़ी खींचते हैं तथा इक्के में जोते जाते हैं । घोड़े पर सवारी करते हैं और यह ताँगा व रथ खींचता हें । ऊँट रेगिस्तानी प्रदेशों की एकमात्र उपयोगी सवारी है । गदहा और खच्चर वजन उठाकर राहगीरों,व्यापारियों और धोबियों के दुन मदद करता है । भैंसे भी हल खींचते हैं और गाडी में जोते जाते हैं ।
ऊँट, भेड़, याक जैसे पशुओं की एक महत्त्वपूर्ण उपयोगिता यह है कि इनसे हमें मूल्यवान ऊन प्राप्त होता है । ऊन से निर्मित ऊनी वस्त्र सर्दियों में वरदान सिद्ध होते हैं । ऊन के अतिरिक्त बहुत से पालतू पशुओं के मृत शरीर से चमड़ा प्राप्त होता है जो जैकेट, लैदर बैग, पर्स, बैल्ट ,जूते-चप्पल, सूटकेस आदि बनाने के काम आता है । इस प्रकार डेयरी उद्योग, ऊनी वस्त्र उद्योग एवं चमड़ा उद्योग वस्तुत : पालतू पशुओं पर ही आधारित होता है ।
गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि पशुओं की एक महत्त्वपूर्ण उपयोगिता यह भी है कि इनसे हमें गोबर प्राप्त होता है । गोबर थोड़े ही समय बाद खाद का रूप ले लेता है जो मिट्टी को उपजाऊ बनाता है । गोबर से ग्रामीण अपने घर- गिन को लीपते हैं । कुछ लोग इन्हें सुखाकर इससे उपले बनाते हैं । ये उपले ईधन का कार्य करते हैं । आजकल गोबर को गोबर गैस प्लांट में डाला जाता है जिससे भारी मात्रा में मिथेन गैस निकलती है । यह गैस घरों में रोशनी करने व खाना पकाने के काम आती है । बाद में गोबर खाद के रूप में प्रयुक्त होता है जिससे कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है ।
पालतू पशुओं में कुत्ता भी अति महत्त्वपूर्ण है । यह घर की चौकीदारी करता है तथा मालिक के प्रति वफादारी प्रदर्शित करता है । कुछ लोग कुत्ते पालना पारिवारिक शान का प्रतीक मानते हैं इसलिए कुत्ते शौक से पाले जाते हैं ।
संसार के विभिन्न भागों में कुछ पालतू पशुओं को मांस के लिए पाला जाता है । चूकि मांस को एक पौष्टिक आहार माना जाता है इसलिए बकरा, ऊँट आदि जंतुओं को मारकर इनसे मांस प्राप्त किया जाता है । विभिन्न धर्मों के लोग पशुओं की कुर्बानी या बलि भी देते हैं । यही कारण है कि मांस देनेवाले पशु बड़ी संख्या में पाले जाते हैं । संसार के विभिन्न भागों में मांस के लिए अलग- अलग प्रकार के पशुओं को पाला जाता है ।