पुलवामा हमले के विपक्ष में निबंध
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जम्मू कश्मीर में सबसे बड़े आतंकी हमले में पुलवामा के पास गुरुवार को सीआरपीएफ के 43 जवान शहीद हो गए और 20 से अधिक घायल हो गए। हालांकि समाचार एजेंसी पीटीआई ने शहीद जवानों की संख्या 39 बताई है। हमले के वक्त 2547 जवान 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। इसी दौरान जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी कार से उनकी बस में टक्कर मार दी। धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए। करीब 10 किलोमीटर तक धमाके की आवाज सुनाई दी।
अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के अधिकतर जवान छुट्टियां बिताने के बाद ड्यूटी पर लौट रहे थे। जम्मू कश्मीर हाईवे पर अवंतिपोरा इलाके में अपराह्न करीब 3:15 बजे आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया। आत्मघाती हमलावर की पहचान पुलवामा के काकापोरा निवासी आदिल अहमद के तौर पर हुई है। आदिल 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था। कुछ दिन पहले सुरक्षा बलों ने उसे घेर लिया था, लेकिन वह चकमा देकर भाग निकला था।
आतंकी के वाहन में था 350 किलोग्राम विस्फोटक
मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि हमलावर कार में 350 किलोग्राम विस्फोटक लेकर आया था। वह गलत दिशा में कार चला रहा था और उसने जिस बस पर सीधी टक्कर मारी उसमें 39 से 44 जवान यात्रा कर रहे थे। शव इतनी बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुके हैं कि चिकित्सकों के लिए हताहतों की वास्तविक संख्या बताना कठिन हो रहा है। उन्होंने बताया कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। यह हमला श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर हुआ है।
Answer:
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने कायराना हरकत को अंजाम दिया है. आतंकियों ने सुरक्षा बलों के काफिले को निशाना बनाते हुए बड़ा हमला किया. हमले में CRPF के 37 जवान शहीद हो गए,जबकि कई जवान घायल हैं. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. जिस आतंकी ने इस हमले को अंजाम दिया उसका नाम आदिल अहमद डार है. वो पुलवामा जिले के काकपोरा का ही रहने वाला है. बताया जा रहा है कि आदिल पिछले साल फरवरी में मोस्ट वांटेड आतंकी जाकिर मूसा के गजवत उल हिंद में शामिल हुआ था और कुछ ही महीने पहले ही वह जैश में शामिल हुआ था.
देश जहां 37 जवानों के मारे जाने पर आंसू बहा रहा है, वहीं इस पर राजनीति पर अपने चरम है. विपक्ष जमकर मोदी सरकार पर हमला बोल रहा है और सरकार दावा कर रही है कि इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. जवानों के शहीद होने पर नेता राजनीति करते रहें, लेकिन सच तो यह है कि किसी ने भी अब तक जवानों के लिए कोई कदम नहीं उठाया. यहां हम इस मुद्दे को इस वजह से उठा रहे हैं क्योंकि इस हमले में जो जवान मारे गए हैं उनको हम शहीद तो बोल रहे हैं लेकिन उनको सरकार की तरफ से शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता है. दरअसल, सीआरपीएफ बीएसएफ, आईटीबीपी या ऐसी ही किसी फोर्स से जिसे पैरामिलिट्री कहते हैं उनके जवान अगर ड्यूटी के दौरान मारे जाते हैं तो उनको शहीद का दर्जा नहीं मिलता है