Hindi, asked by aditihabib15, 9 months ago

पीलवा शब्द का क्रिया रूप​

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Answered by sk181231
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pilvi

जिन शब्दों से किसी कार्य का करना या होना व्यक्त हो उन्हें क्रिया कहते हैं। जैसे- रोया, खा रहा, जायेगा आदि। उदाहरणस्वरूप अगर एक वाक्य 'मैंने खाना खाया' देखा जाये तो इसमें क्रिया 'खाया' शब्द है। 'इसका नाम मोहन है' में क्रिया 'है' शब्द है। 'आपको वहाँ जाना था' में दो क्रिया शब्द हैं - 'जाना' और 'था'।

क्रिया के भी कई रूप होते हैं, जो प्रत्यय और सहायक क्रियाओं द्वारा बदले जाते हैं। क्रिया के रूप से उसके विषय संज्ञा या सर्वनाम के लिंग और वचन का भी पता चल जाता है। क्रिया वह विकारी शब्द है, जिससे किसी पदार्थ या प्राणी के विषय में कुछ विधान किया जाता है। अथवा जिस विकारी शब्द के प्रयोग से हम किसी वस्तु के विषय में कुछ विधान करते हैं, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-

1. घोड़ा जाता है।

2. पुस्तक मेज पर पड़ी है।

3. मोहन खाना खाता है।

4. राम स्कूल जाता है।

क्रिया के साधारण रूपों के अंत में ना लगा रहता है जैसे-आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना आदि। साधारण रूपों के अंत का ना निकाल देने से जो बाकी बचे उसे क्रिया की धातु कहते हैं। आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना क्रियाओं में आ, जा, पा, खो, खेल, कूद धातुएँ हैं। शब्दकोश में क्रिया का जो रूप मिलता है उसमें धातु के साथ ना जुड़ा रहता है। ना हटा देने से धातु शेष रह जाती है।

अन्य उदाहरणः

1. गीता गाती है।

2. बच्चा खेलता है।

3. श्याम हंसता है।

4. कीड़ा बिलबिलाता है।

5. कुत्ता भोंकता है।

6. सुधांशु शायर है।

7. विकास खाना खाता है।

8. संकल्प मेरा भाई है।

अपूर्ण सकर्मक क्रिया संपादित करें

जिस क्रिया के पूर्ण अर्थ का बोध कराने के लिए कर्ता के अतिरिक्त अन्य संज्ञा या विशेषण की आवश्यकता पड़ती है, उसे अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं। अपूर्ण सकर्मक क्रिया का अर्थ पूर्ण करने के लिए संज्ञा या विशेषण को जोड़ा जाता है, उसे पूर्ति कहते हैं। जैसे- गाँधी कहलाये। - से अभीष्ट अर्थ की प्राप्ति नहीं होती। अर्थ समझने के लिए यदि पूछा जाय कि गाँधी क्या कहलाये? तो उत्तर होगा- गाँधी महात्मा कहलाये। इस प्रकार कहलाये अपूर्ण अकर्मक क्रिया का अर्थ महात्मा शब्द द्वारा स्पष्ट होता है। इस वाक्य में कहलाये अपूर्ण अकर्मक क्रिया और महात्मा शब्द पूर्ति है।

अन्य उदाहरणः

1. भाई शिक्षक हो गया।

2. सोना पीला होता है।

अपूर्ण अकर्मक क्रिया

जिस अकर्मक क्रिया का पूरा आशय स्पष्ट करने के लिए वाक्य में कर्म के साथ अन्य संज्ञा या विशेषण का पूर्ति के रूप में प्रयोग होता है, उसे अपूर्ण अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे- राजा ने गंगाधर को मंत्री बनाया।– वाक्य में बनाया अकर्मक क्रिया का कर्म गंगाधर है, किन्तु इतने मात्र से इस कर्म का आशय स्पष्ट नहीं होता। उसका आशय़ स्पष्ट करने के लिए उसके साथ मंत्री संज्ञा भी प्रयुक्त होती है। इस वाक्य में बनाया अपूर्ण अकर्मक क्रिया है, गंगाधर कर्म है और मंत्री शब्द कर्म-पूर्ति है।

अन्य उदाहरण

1. अध्यापक ने संतोष को वर्ग-प्रतिनिधि चुना।

2. हम अपने मित्र को चतुर समझते हैं।

द्विकर्मक क्रिया

जिस सकर्मक क्रिया का अर्थ स्पष्ट करने के लिए वाक्य में दो कर्म प्रयुक्त होते हैं, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे-शिक्षक ने विद्यार्थी को पुस्तक दी।– इस वाक्य में दी क्रिया के व्यापार का फल दो कर्मों- पुस्तक और विद्यार्थी पर पड़ता है, इसलिए इस वाक्य में द्विकर्मक क्रिया है। पुस्तक मुख्य कर्म और विद्यार्थी गौण कर्म है। द्विकर्मक क्रिया के साथ प्रयुक्त होने वाले दोनों कर्म में से मुख्य कर्म किसी पदार्थ का तो गौण कर्म किसी प्राणी का बोध कराता है।

अन्य उदाहरणः

1. राजा ने ब्राह्मण को दान दिया।

2. राम लक्ष्मण को गणित सिखाता है।

रूढ़ क्रियाः जिस क्रिया की रचना धातु से होती है, उसे रूढ़ कहते हैं। जैसे, लिखना, पढ़ना, खाना, पीना आदि।

प्रेरणार्थक क्रिया

जिस क्रिया के व्यापार में कर्ता पर किसी दूसरे की प्रेऱणा जानी जाती है उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे- शिक्षक ने विद्यार्थी से पुस्तक पढ़वायी। वाक्य में पढ़वायी क्रिया से विद्यार्थी कर्ता पर शिक्षक कर्ता की प्रेरणा जानी जाती है। जो कर्ता दूसरे पर प्रेरणा करता है, उसे प्रेरक कर्ता कहते हैं और जिस पर प्रेरणा की जाती है, उसे प्रेरित कर्ता कहते हैं। प्रस्तुत वाक्य में पढ़वायी प्रेरणार्थक क्रिया, शिक्षक प्रेरक कर्ता और विद्यार्थी प्रेरित कर्ता है। प्रेरक कर्ता का प्रयोग कर्ता कारक में और प्रेरित कर्ता का प्रयोग करण कारक में होता है। अधिकतर अकर्मक से सकर्मक और सकर्मक से प्रेरणार्थक क्रिया बनती है। जैसे-

  1. पानी गिरता है ।
  2. राधा पानी गिराती है।

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