पानी बिच मीन पियासी।
मोहि सुनि सुनि आवत हाँसी ।।
आतम ग्यान बिना सब सुमा, क्या मथुरा क्या कासी ।
घर में वसत धरी नहिं सूझै बाहर खोजन जासी ।।
मृग की नाभि मॉहि कस्तूरी, बन-बन फिरत उदासी ।
कहत कबीर, सुनौ भाई साधी, सहज मिले अविनासी ।।
this is st Kabir's poem 'sahaj mile avinsai' please help me with meaning derivation as i need it for assignment
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Explanation:कबीर के दोहे
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान, ...
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, ...
तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय, ...
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट । ...
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । ...
साईं इतना दीजिये, जा के कुटुम्ब समाए । ...
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय । ...
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
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