पानी की बर्बादी के विषय में दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए
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गीता – अरे सीमा! क्या बात है कुछ परेशान-सी दिख रही हो।
सीमा – क्या बताऊँ, गीता, न कल दिन में पानी और न रात में।
गीता – गरमी आते ही बिजली की तरह ही पानी का संकट शुरू हो जाता है।
सीमा – बिजली न आने पर जैसे-तैसे झेल भी लेते हैं परंतु पानी के बिना बड़ी परेशानी होती है।
गीता – आखिर परेशानी क्यों न हो नहाना, धोना, खाना बनाना आदि काम पानी से ही तो होते हैं।
सीमा – अब तो गरमी भी अधिक पड़ने लगी है! इससे नदियाँ तक सूख जाने लगी हैं। आखिर इन्हीं नदियों का पानी शुद्ध करके शहरों में घर-घर भेजा जाता है।
गीता – पिछले सप्ताह मैंने देखा था कि मजदूरों की बस्ती में कई नल खुले थे, दो-तीन की टोटियाँ टूटी थी, जिनसे पानी बहता जा रहा था।
सीमा. – पानी की यही बरबादी तो जल संकट को जन्म दे रही है। हमें पानी की बरबादी अविलंब बंद कर देना चाहिए.
Answer:
राजीव - अरे सौरभ तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो ?
सौरभ - कुछ नहीं राजीव, आज शिक्षिका ने जल ही जीवन है पाठ पढ़ाया उसके बारे में सोच रहा था।
राजीव - इतना क्या सोच रहे हो मेरे भाई?
सौरभ - राजीव तुमने क्या पाठ में पढ़ा नहीं कि किस प्रकार देश के कई इलाकों में इस पानी को लेकर आपस में कितना संघर्ष होता है। जो पानी हम लोगों को सहज में उपलब्ध हो जाता है उस पानी के लिए कितने ही लोगों को कई मील रोज चलना पड़ता है।
राजीव - हाँ सौरभ, बात तो तुम्हारी सोलह आने सच है।
सौरभ - यही नहीं राजीव, उन्हें वहाँ पानी नहीं मिलता और हम लोग यहाँ पर व्यर्थ में ही कितना जल बर्बाद कर देते हैं।
राजीव- हाँ राजीव, पाठ पढ़ने के बाद मैंने तो ये निश्चय कर लिया है कि मैं कभी जल को बर्बाद नहीं करूँगा।
सौरभ - बहुत ही बढ़िया विचार है राजीव तुम्हारा परन्तु मैं कुछ और भी सोच रहा था।
राजीव - क्या सोच रहे हो ?
सौरभ - राजीव कयों न आगामी स्कूल असेंबली के लिए हम यही मुद्दा लें और पूरे विद्यालय के छात्रों को इस विषय पर जागरूक करें।
राजीव - वाह! क्या बढ़िया विचार है ?
सौरभ - तो फिर पक्का कल से इसकी तैयारी शुरू।
राजीव - बिलकुल - बिलकुल, अब चलो बस आ गई घर देर से पहुँचेंगे तो डाँट खानी पड़ेगी।