पानी की कहानी पाठ में ओस की बूंद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है और लेखक केवल सोता है इस कहानी आत्मकथा शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें
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आत्मकथात्मक शैली में कुर्सी की कहानीकिसी समय मैं बाग में हरे-भरे पेड़ की शाखा थी। लालची मनुष्य ने अपने लोभ के कारण उस पेड़ को काटकर बेच दिया। एक पारखी लुहार ने मेरी जैसी कई शाखाओं को खरीद लिया। उसने मुझे सूखने को धूप में डाल दिया। क्या बताऊँ कितनी पीड़ा हुई थी, पर उससे भी ज्यादा पीड़ा तो तब मुझे हुई जब उसने मुझे मशीन से चीरकर कई भाग कर डाले। इन भागों में कुछ पटरे थे और कुछ लम्बे तने जैसे।
इन पटरों को उसने रंदे की मदद से चिकना किया। कुछ लकड़ियाँ काटकर मेरे पाए तैयार किए। अब उसने पाए, पटरे, हत्थे और पीठ का भाग जोड़ने के लिए जब कीलें ठोंकी तो मेरी जान निकलते-निकलते बची। मेरे तैयार होने पर उसने मेरे कुछ घावों में पीली मिट्टी भरी। फिर मुझे पूरी तरह पालिश करके बाजार में बेचने के लिए रख दिया जहाँ से तुमने मुझे खरीद लिया। तब से मैं तुम्हारे आराम का साधन बनी हुई हूँ।
Explanation:
पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर आेस की बूँद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूँद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और नल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। ... पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन-सामग्री 'हम पृथ्वी की संतान!