Hindi, asked by subhashyadav99770834, 6 months ago

'पानी के महत्त्व' अथवा ' त्यौहारों का महत्व शीर्षक पर अनुच्छेद लिखिए।

Answers

Answered by zuniali41
38

Answer:

जल ही जीवन है'

मानव शरीर को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। हम पूरे एक सप्ताह तक बिना किसी भोजन के जीवित रह सकते हैं, लेकिन पानी के बिना, हम 3 दिनों तक भी जीवित नहीं रह सकते हैं। इसके अलावा, हमारे शरीर में ही 70% पानी शामिल है। बदले में यह हमारे शरीर को सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करता है।

Explanation:

त्योहारों से हमारे जीवन में परिवर्तन और उल्लास का संचार होता है। त्योहार किसी भी जाति और देश उसके अतीत से सम्बन्ध जोड़ने का भी उत्तम साधन हैं। जीवन में पग पग पर आने वाली कठिनाइयों तनाव और पीड़ा को भुलाने का साधन भी त्योहार ही हैं। यही कारण है कि त्योहारों के अवसर सभी मानव हर्ष से झूम उठते हैं।

Answered by tiara28
10

Answer:

हमारे जीवन में त्योहारों का बहुत महत्व है। इनके बिना हमारा जीवन नीरस और ऊब भरा हो जाता है। त्योहारों से हमारे जीवन में परिवर्तन और उल्लास का संचार होता है। त्योहार किसी भी जाति और देश उसके अतीत से सम्बन्ध जोड़ने का भी उत्तम साधन हैं। जीवन में पग पग पर आने वाली कठिनाइयों तनाव और पीड़ा को भुलाने का साधन भी त्योहार ही हैं। यही कारण है कि त्योहारों के अवसर सभी मानव हर्ष से झूम उठते हैं।

हमारे देश में जितने भी त्योहार मनाये जाते हैं, उन्हें मोटे तौर पर दो भागों में बांट सकते हैं। पहले वर्ग में धार्मिक त्योहार आते हैं। ईद, बड़ा दिन, दशहरा, दीपावली, होली, बसन्त पंचमी, कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, रक्षाबंधन, भैयादूज आदि त्योहार इसी वर्ग में आते हैं। दूसरे वर्ग में राष्ट्रीय पर्व हैं। इन पर्वों में गणतन्त्र दिवस, स्वतन्त्रता दिवस, गांधी जयन्ती, अध्यापक दिवस बलिदान दिवस प्रमुख हैं।

ye tyohar ka nibandh h.

मनुष्य जीवन में जल का बहुत बड़ा महत्व है। जल के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जल के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। पृथ्वी पर जल पाया जाता है इसलिए इसे ब्रह्मांड का एक अनोखा ग्रह कहा जाता है। जल के कारण ही आज मनुष्य जाति पृथ्वी पर विकसित हो सकी है। मनुष्य, पशुओं, पेड़-पौधों सभी को जल की जरूरत है।

यदि पृथ्वी से जल समाप्त हो जाए तो कोई भी जीव जंतु जीवित नहीं रह पाएंगे क्योंकि सभी जीव जंतु जल का उपयोग करते हैं। यह चिंता का विषय है कि मनुष्य ने अपनी व्यवसायिक गतिविधियों के द्वारा पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल को संकट में डाल दिया है।

ye jal ka ninandh h

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