पुनः नया निर्माण करो कविता का सरलार्थ द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
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Answer:
उठो धरा के वीर सपूतों
Explanation:
उपरोक्त कविता "श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने लिखी है।वो कहते हैं कि हे विश्व के वीर सपूतों आप उठो धरा के वीर सपूतों" आज तुम्हारा अपना कर्तव्य निभाने का समय आया है।आज एक बार फिर इस धरती को पुनर्निमाण की जरूरत है।
हर डाली पर बैठी चिड़िया एक नए स्वर में गाती है
ये एक नया युग है कोई नया गीत गाओ।इसका अर्थ यही है कि पुरानी प्रथाओं और अंधविश्वास की बेड़ियों से निकाल कर एक ऐसे समाज का निर्माण करो जो प्रगतिशील हो जो ज्ञानवर्धक हो और जीवन में रुकने की नहीं बल्कि आगे बढ़ने की प्रेरणा दे।
डाल-डाल पर बैठ विहग कुछ
नए स्वरों में गाते हैं ।
गुन-गुन, गुन-गुन करते भौंरे
मस्त हुए मँडराते हैं ।
नवयुग की नूतन वीणा में
नया राग, नवगान भरो ।
कली-कली खिल रही इधर
वह फूल-फूल मुस्काया है ।
धरती माँ की आज हो रही
नई सुनहरी काया है ।
नूतन मंगलमयी ध्वनियों से
गुँजित जग-उद्यान करो ।
सरस्वती का पावन मंदिर
यह संपत्ति तुम्हारी है ।
तुम में से हर बालक इसका
रक्षक और पुजारी है ।
शत-शत दीपक जला ज्ञान के
नवयुग का आव्हान करो