पानी और बिजली हमें सोच समझकर उपयोग क्यों करना चाहिए
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ku
nahi karanga
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आप यह जानते हैं कि सभी जीव-जन्तुओं को जीवित रहने के लिये पानी और ऊर्जा दोनों की आवश्यकता होती है। आपने यह भी जान लिया है कि जल और ऊर्जा की बढ़ती कमी विकास और प्रगति, दोनों को सीमित करती है। मानव जाति ने जल संपदा के अत्यधिक दोहन द्वारा जल की उपलब्धता ही कम कर दी है। समुद्र, नदियों व तालाबों जैसे प्राकृतिक निकायों को प्रदूषित कर दिया है जिससे पानी काम में लाने योग्य ही नहीं है। जल और ऊर्जा जैसे दो बुनियादी साधनों की बढ़ती समस्या को केवल समझ बूझ से प्रयोग और प्रभावशाली संरक्षण द्वारा हल किया जा सकता है। इस पाठ में आप जल एवं ऊर्जा के संरक्षण के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।
Explanation:
जल एक प्राकृतिक साधन के रूप में
जल एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संपदा है क्योंकि उसके बिना जीवन संभव ही नहीं है। उसका नवीनीकरण व पुनः प्रयोग भी हो सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का लगभग तीन चौथाई भाग समुद्रों, नदियों, तालाबों, बर्फ व हिमनदों के पानी से ढका हुआ है। परन्तु इस जल का 1% से भी कम भाग अलवणीय जल है व मानव सहित अन्य जीवों के लिये प्रयोग में लाया जा सकता है। हालाँकि जल का प्राकृतिक विधि से चक्रण पूरे वर्ष, हर स्थान पर होता ही रहता है, उसका जरूरत से अधिक उपभोग हो रहा है और उसका कुछ भाग बेकार भी जाता है।
इन कारणों से जल संरक्षण आवश्यक हो गया है। वर्तमान काल में, दुनिया की जनसंख्या का एक तिहाई भाग जल की कमी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। गाँवों में महिलाओं को पानी भरने के लिये लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है। कुछ पहाड़ी इलाकों में महिलाओं को तो पहाड़ के ऊपर दस-दस मील की चढ़ाई करनी पड़ती है, सिर्फ पानी के एक कुएँ तक पहुँचने के लिये। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सन 2025 तक, विश्व की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या को पेयजल की कमी की भीषण समस्या से जूझना पड़ेगा। अतः हमें पानी के प्रयोग के विषय में सावधान होना चाहिए व इसके संरक्षण के तरीके खोजने चाहिए। परन्तु पहले हम यह समझने की कोशिश करें कि पानी का अभाव किन कारणों से हुआ है।
जल की बढ़ती मांग के उत्तरदायी कारण
पानी की बढ़ती हुई मांग के पीछे निम्नलिखित कारक हैं:
क) सिंचाई का विस्तार
ख) उद्योगों द्वारा बढ़ती मांग
ग) बढ़ती हुई जनसंख्या की बढ़ती मांग
घ) परिवर्तनशील जीवनशैली द्वारा पानी का अधिक इस्तेमाल
ऊर्जा संरक्षण
ऊर्जा क्या है?
ऊर्जा को इस तरह परिभाषित करते हैं जैसे कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। ऊर्जा का प्रयोग किया जा सकता है। जब ऊर्जा का एक बार इस्तेमाल लिया जाता है तो पुनः प्रयोग नहीं हो सकता, जैसे वह पोषक तत्वों की पुनरावर्तित नहीं हो सकती। आपने पिछले पाठों में सीखा है कि ऊर्जा के स्रोत दो प्रकार के होते हैं- (i) नवीकरणीय (ii) अनवीकरणीय। हालाँकि ऊर्जा न तो उत्पन्न होती है न ही उसे नष्ट किया जा सकता है। उसका पुनर्चक्रण भी नहीं हो सकता।
समाज द्वारा ऊर्जा का प्रयोग
मानव-जाति व अन्य जीवधारी अपनी क्रियाओं और शारीरिक कार्यों के लिये ऊर्जा की जरूरत होती है। इस ऊर्जा को जीवधारी भोजन से प्राप्त करते हैं और यह एडिनोसीन ट्राई-फॉस्फेट (ATP) नाम के एक रासायनिक यौगिक के रूप में पायी जाती है। इस यौगिक का संश्लेषण मुख्यतः भोजन के ऑक्सीकरण के दौरान होता है, जोकि कोशिकाओं के श्वसन के दौरान होता है।
आप तो जानते ही हैं कि प्रकृति में ऊर्जा का स्थानान्तरण खाद्य श्रृंखलाओं के माध्यम से होता है।
ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्रोत सूर्य है। पौधे सूर्य की ऊर्जा को प्रकाश-संश्लेषण के लिये इस्तेमाल करते हैं और इसीलिये उन्हें उत्पादक कहा जाता है। शाकाहारी पौधों को खाते हैं। वे उपभोक्ता कहलाते हैं। मांसाहारी शाकाहारियों को भोजन बनाते हैं। इस प्रकार से ऊर्जा का स्थानान्तरण एक प्राणी से दूसरे तक होता है। कुछ ऊर्जा, ऊष्मा के रूप में विलीन हो जाती है।
मानव-जाति को ऊर्जा न केवल अपनी शारीरिक प्रक्रियाओं के लिये चाहिए, बल्कि अन्य कई प्रकार की क्रियाओं को करने के लिये भी चाहिए जैसे-
- खाना पकाने और ऊष्मा के लिये ऊष्मा या विद्युत की आवश्यकता होती है।
- बिजली की आवश्यकता ट्यूब लाइटों, बल्बों एवं पंखों, कूलरों और वातानुकूलनों को चलाने के लिये पड़ती है।
- मनुष्यों और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिये गाड़ियों, बसों, रेलगाड़ियों, ट्रकों और हवाई जहाज जैसे यातायात के साधनों को पेट्रोल, डीजल या प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas, CNG) जैसे ईंधनों की जरूरत पड़ती हैं।
- ऊर्जा (विद्युत) का बहुमंजलीय इमारतों में पानी को पम्प करने (चढ़ाने) का काम आता है।
- ऊर्जा का उन विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिये इस्तेमाल होता है जोकि विभिन्न प्रकार के माल, पदार्थों के निर्माण में लगती हैं।
- ऊर्जा का प्रयोग कृषि, सिंचाई, ट्रैक्टरों व अन्य खेतों पर काम आने वाली मशीनों, कीटनाशकों के छिड़काव इत्यादि में होता है।
- ऊर्जा का प्रयोग ऊर्जा उत्पादन में भी होता है उदाहरणतः बिजली के स्टेशनों में टर्बाइनों को चलाने में।
अतः हम कह सकते हैं कि ऊर्जा मानव-जाति के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण संपदा है।