Hindi, asked by Minal9417, 1 year ago

'पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए''

Answers

Answered by nikitasingh79
121
प्रश्न:
'पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए' 
ऊपर लिखी गई पंक्तियां को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जाता है तो वह अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छांटिए।
उत्तर:१. ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।
२. कै वह टूटी सी छानी हती, कहं कंचन के अब धाम सुहावत ।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
Answered by Anonymous
73
हेलो!!

आपका उत्तर नीचे है

'पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए''

इस पंक्ति मे कथन को बढा चढाके बोला गया है कि -

पानी को हाथ भी नहीं लगाया और अपने आंसुओं से पैर धो दिए।

जैसे की हमने देखा, इसमें कथन को बढा चढाके बोला गया है, इसलिए इसमें अतिशयोक्ति अलंकार है ।

और भी कुछ पंक्तियां जिसमें अतिशयोक्ति अलंकार ह :-

→ हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग. लंका सारी जल गई गए निशाचर भाग।

→ आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।

आशा है आपको मदद मिलेगी...
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